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नव सत्संवर वर्ष

ममता तिवारी ‘ममता’
जांजगीर-चाम्पा(छत्तीसगढ़)
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जननी जग माँ तुम अम्ब मही,
तुम ही तम दोष विमोचिनी माँ
कमला विमला मुदिता सुफला,
करती उपकार सुलोचनी माँ।

तुम कालिक शूल कपाल धरे,
कर मुंड सजे जग कारिनी माँ
कलियान करे महिमा सकला,
अभिमान हटा भव तारनी माँ।

पग नूपुर शीश शशांक अठाभुज,
हो पट लोहित धारिनी माँ
जर हीन बली बल दो मुझको,
अपरा रुप स्त्री दुलारिनी माँ।

दु:ख दूर करो धरती सुख हो,
अब नेह निहार निवरिनी माँ।
कर दे उपकार दयाभर अम्ब,
विनती सुन नैन विशालिनी माँ॥

परिचय–ममता तिवारी का जन्म १अक्टूबर १९६८ को हुआ है। वर्तमान में आप छत्तीसगढ़ स्थित बी.डी. महन्त उपनगर (जिला जांजगीर-चाम्पा)में निवासरत हैं। हिन्दी भाषा का ज्ञान रखने वाली श्रीमती तिवारी एम.ए. तक शिक्षित होकर समाज में जिलाध्यक्ष हैं। इनकी लेखन विधा-काव्य(कविता ,छंद,ग़ज़ल) है। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में आपकी रचनाएं प्रकाशित हैं। पुरस्कार की बात की जाए तो प्रांतीय समाज सम्मेलन में सम्मान,ऑनलाइन स्पर्धाओं में प्रशस्ति-पत्र आदि हासिल किए हैं। ममता तिवारी की लेखनी का उद्देश्य अपने समय का सदुपयोग और लेखन शौक को पूरा करना है।

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