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नारी इक अदभुत रचना

तृप्ति तोमर 
भोपाल (मध्यप्रदेश)
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‘अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस’ स्पर्धा विशेष…………………


कभी कही,कभी अनकही कविता,
इसका जीवन तो है बहती सरिता।

नारी है इक सुलझी-अनसुलझी पहेली,
इसका हर इक रूप है मानो जैसे सहेली।

खुद ही खुद की है इक अनोखी पहचान,
अपनी ही शक्ति से रहती अनजान।

लेती है हर कदम पर नया रुप,
कभी दोस्त,कभी नायिका स्वरुप।

हर नारी है निराला रुप देवी का,
नारी द्वारा सृजन समस्त पृथ्वी का।

ये हे सपनों की दुनिया की कहानी,
हौंसले,साहस की बेमिसाल निशानी।

नारी है बला की खूबसूरत तस्वीर,
अपने समर्पण से सजाती तकदीर।

हर हालात को संवारती नारी,
नारी हे इक अनमोल दुर्लभ मोती॥

परिचय-तृप्ति तोमर पेशेवर लेखिका नहीं है,पर प्रतियोगी छात्रा के रुप में जीवन के रिश्तों कॊ अच्छा समझती हैं।यही भावना इनकी रचनाओं में समझी जा सकती है। आपका  साहित्यिक उपनाम-तृष्णा है। जन्मतिथि २० जून १९८६ एवं जन्म स्थान-विदिशा(म.प्र.) है। वर्तमान में भोपाल के जनता नगर-करोंद में निवास है। प्रदेश के भोपाल से ताल्लुक रखने वाली तृप्ति की लेखन उम्र तो छोटी ही है,पर लिखने के शौक ने बस इन्हें जमा दिया है। एम.ए. और  पीजीडीसीए शिक्षित होकर फिलहाल डी.एलएड. जारी है। आप अधिकतर गीत लिखती हैं। एक साझा काव्य संग्रह में रचना प्रकाशन और सम्मान हुआ है। 

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