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नारी जीवन मीत

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’
बेंगलुरु (कर्नाटक)

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नर में नारायण समझ, नारी मीत सुनीति।
रचती तन-मन रक्त से, उरतल क्षीर प्रणीति॥

नारी का नारीत्व ही, स्वाभिमान सम्मान।
देवासुर नर पशु विहग, जगजननी तू शान॥

मैं नर तू नारायणी, हृदय क्षीर सन्तान।
आये जो बाधा विपद, तुम सहिष्णु कुल मान॥

चारुचंद्र शीतल सुभग, नारी जीवन मीत।
श्रद्धा लज्जा मधुरिमा, नृत्य गीत-संगीत॥

धीरा वीरा सृष्टिजा, मातु उरज नारीत्व।
सुतता बहन भार्या वधू, छायांचल मातृत्व॥

तुम जीवन संयोजिका, मैं काया तू प्राण।
नारी तू संगीत मन, करे सृष्टि निर्माण॥

नारी युग-युग पूजिता, शक्ति रुप संसार।
तुम माँ देवासुर मनुज, क्षमाशील समुदार॥

संजीदा संजीवनी, माँ तू करुणागार।
परिणीता मुग्धा प्रिया, शुभ गृहिणी अवतार॥

नवनीता नारी श्रिया, संवेदना स्वरूप।
सबला संयम धीरता, प्रिया दीन या भूप॥

नारी जीवन गति सदा, नारी शक्ति महान।
अश्रु नैन मुस्कान मुख, प्रेम दया रसखान॥

नारी गाथा जिंदगी, सुख-दु:ख की पहचान।
प्रगतिशील अम्बर क्षितिज, गुरु शासक पद मान॥

क्रान्ति शान्ति प्रतिमान हो, बनी रोशनी शोक।
तुम अमोघ विधि सृष्टिजा, नव जीवन आलोक॥

धन्य नार्य जीवन जगत, धन्य विधाता सृष्टि।
जननी पालक रक्षिका, करती स्नेहिल वृष्टि॥

तुम नारी कविता कला, तुम नव रस श्रृंगार।
तुम खुशबू जीवन प्रिया, धरा प्रकृति उपहार॥

परिचय-डॉ.राम कुमार झा का साहित्यिक उपनाम ‘निकुंज’ है। १४ जुलाई १९६६ को दरभंगा में जन्मे डॉ. झा का वर्तमान निवास बेंगलुरु (कर्नाटक)में,जबकि स्थाई पता-दिल्ली स्थित एन.सी.आर.(गाज़ियाबाद)है। हिन्दी,संस्कृत,अंग्रेजी,मैथिली,बंगला, नेपाली,असमिया,भोजपुरी एवं डोगरी आदि भाषाओं का ज्ञान रखने वाले श्री झा का संबंध शहर लोनी(गाजि़याबाद उत्तर प्रदेश)से है। शिक्षा एम.ए.(हिन्दी, संस्कृत,इतिहास),बी.एड.,एल.एल.बी., पीएच-डी. और जे.आर.एफ. है। आपका कार्यक्षेत्र-वरिष्ठ अध्यापक (मल्लेश्वरम्,बेंगलूरु) का है। सामाजिक गतिविधि के अंतर्गत आप हिंंदी भाषा के प्रसार-प्रचार में ५० से अधिक राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय साहित्यिक सामाजिक सांस्कृतिक संस्थाओं से जुड़कर सक्रिय हैं। लेखन विधा-मुक्तक,छन्दबद्ध काव्य,कथा,गीत,लेख ,ग़ज़ल और समालोचना है। प्रकाशन में डॉ.झा के खाते में काव्य संग्रह,दोहा मुक्तावली,कराहती संवेदनाएँ(शीघ्र ही)प्रस्तावित हैं,तो संस्कृत में महाभारते अंतर्राष्ट्रीय-सम्बन्धः कूटनीतिश्च(समालोचनात्मक ग्रन्थ) एवं सूक्ति-नवनीतम् भी आने वाली है। विभिन्न अखबारों में भी आपकी रचनाएँ प्रकाशित हैं। विशेष उपलब्धि-साहित्यिक संस्था का व्यवस्थापक सदस्य,मानद कवि से अलंकृत और एक संस्था का पूर्व महासचिव होना है। इनकी लेखनी का उद्देश्य-हिन्दी साहित्य का विशेषकर अहिन्दी भाषा भाषियों में लेखन माध्यम से प्रचार-प्रसार सह सेवा करना है। पसंदीदा हिन्दी लेखक-महाप्राण सूर्यकान्त त्रिपाठी ‘निराला’ है। प्रेरणा पुंज- वैयाकरण झा(सह कवि स्व.पं. शिवशंकर झा)और डॉ.भगवतीचरण मिश्र है। आपकी विशेषज्ञता दोहा लेखन,मुक्तक काव्य और समालोचन सह रंगकर्मी की है। देश और हिन्दी भाषा के प्रति आपके विचार(दोहा)-
स्वभाषा सम्मान बढ़े,देश-भक्ति अभिमान।
जिसने दी है जिंदगी,बढ़ा शान दूँ जान॥ 
ऋण चुका मैं धन्य बनूँ,जो दी भाषा ज्ञान।
हिन्दी मेरी रूह है,जो भारत पहचान॥