श्रीमती देवंती देवी
धनबाद (झारखंड)
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मनुष्य जान नहीं पाया नींद क्या चीज है,
श्री गुरु कहते हैं नींद आलस का बीज है।
नयन पट बंद होते ही अन्धकार लगता है,
कभी तो नींद के आगे सब बेकार लगता है।
आलसी तो भूखे पेट सोना मंजूर करता है,
दिल से नींद को आलसी, प्यार करता है।
सारे जहाँ से अच्छी समझी, नींद है हमारी,
संत गुरू कहते हैं, उसे दु:ख है बहुत भारी।
परम सत्य है ‘जो सोया सो बहुत खोया’ है,
जो जाग कर सोया, वही सब धन पाया है।
अल्पाहार हर मनुष्य को करना जरूरी है,
अल्प निंद्रा मानव के लिए बहुत जरूरी है।
रोगी बन के रहना है तो, नींद से प्यार करो,
ज्ञानी बनकर जियो, नींद को फटकार करो।
ना जाने कब बुलावा आए, इसलिए कर्म करो,
नींद नहीं;कंचन काया दी है ईश्वर ने, गर्व करो॥
परिचय– श्रीमती देवंती देवी का ताल्लुक वर्तमान में स्थाई रुप से झारखण्ड से है,पर जन्म बिहार राज्य में हुआ है। २ अक्टूबर को संसार में आई धनबाद वासी श्रीमती देवंती देवी को हिन्दी-भोजपुरी भाषा का ज्ञान है। मैट्रिक तक शिक्षित होकर सामाजिक कार्यों में सतत सक्रिय हैं। आपने अनेक गाँवों में जाकर महिलाओं को प्रशिक्षण दिया है। दहेज प्रथा रोकने के लिए उसके विरोध में जनसंपर्क करते हुए बहुत जगह प्रौढ़ शिक्षा दी। अनेक महिलाओं को शिक्षित कर चुकी देवंती देवी को कविता,दोहा लिखना अति प्रिय है,तो गीत गाना भी अति प्रिय है