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पाती सैनिक-सपूत की

दुर्गेश कुमार मेघवाल ‘डी.कुमार ‘अजस्र’
बूंदी (राजस्थान)
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राजौरी:शहीदों को श्रद्धांजलि….

आऊंगा मैं तुझसे मिलने, माँ मेरी ए,
खाकर कसम तेरी कहता हूँ,
देश-तिरंगे का मान बढ़ाने को, तुझसे दूर मैं रहता हूँ।

चिट्ठी तेरी मुझको आई है जो माँ,
मेरा ही हाल तूने पूछा है।
मन में छुपा लिया दु:ख अपना,
तेरा मेरे सिवा कौन दूजा है ?
जानूं तेरे मन की पीड़ा पर,
तुझसे कभी ना मैं कहता हूँ।
आऊंगा मैं तुझसे मिलने…॥

माँ (भारत माँ) के लिए माँ ही कैसे, देखो आँचल में दुख को छुपाती है ?
तू तो छुपा ले यह बात भले ही,
पर मुझको तेरी याद आती है।
आँचल से तेरे मैं दूर हुआ पर,
गोद में माँ (भारत माँ) की मैं रहता हूँ।
आऊंगा मैं तुझसे मिलने…॥

तिरंगा वो झुकने कभी नहीं पाए,
मुंडेर पर अपने जो लहराता।
उसकी शान की खातिर ही तो,
मैं तुझसे ना मिलने पाता।
करते हुए ‘सीमा’ रखवाली मैं,
देशभक्ति में ही बहता हूँ।
आऊंगा मैं तुझसे मिलने…॥

देश-दुश्मन की जो खाकर गोली,
सपूत देश का वो सिद्ध हुआ।
दस आतंकी को ढेर करके जो,
मित्र ‘अजस्र’ मेरा, शहीद हुआ।
तिरंगे में लिपटा उसको देखकर,
‘जय-जय हिंद’ मैं कहता हूँ।
आऊंगा मैं तुझसे मिलने…॥

तू भी मुझको देदे आशीष ये,
देशहित में कुछ कर जाऊँ मैं।
तुझसे शीघ्र भले, ना मिल पाऊँ,
भारत माँ के ही काम आऊँ मैं।
जाने को उस कर्तव्य पथ पर ही,
मैं भी संवरता रहता हूँ।
आऊंगा मैं तुझसे मिलने…॥

गर ऐसा हो तुझसे मिलूं पर,
कुछ भी बोल ना पाऊँ मैं।
गर्व से सिर पर हाथ फेरना,
लिपट तिरंगे में आऊँ मैं।
चरणों को तेरे,दू र से ही छूके,
‘अजस्र’ ‘धन्य माँ’ कहता हूँ।

आऊंगा मैं तुझसे मिलने माँ मेरी ए,
खाकर कसम तेरी मैं कहता हूँ।
देश-तिरंगे का मान बढ़ाने को,
तुझसे दूर मैं रहता हूँ…॥

परिचय–आप लेखन क्षेत्र में डी.कुमार’अजस्र’ के नाम से पहचाने जाते हैं। दुर्गेश कुमार मेघवाल की जन्मतिथि-१७ मई १९७७ तथा जन्म स्थान-बूंदी (राजस्थान) है। आप राजस्थान के बूंदी शहर में इंद्रा कॉलोनी में बसे हुए हैं। हिन्दी में स्नातकोत्तर तक शिक्षा लेने के बाद शिक्षा को कार्यक्षेत्र बना रखा है। सामाजिक क्षेत्र में आप शिक्षक के रुप में जागरूकता फैलाते हैं। लेखन विधा-काव्य और आलेख है,और इसके ज़रिए ही सामाजिक मीडिया पर सक्रिय हैं।आपके लेखन का उद्देश्य-नागरी लिपि की सेवा,मन की सन्तुष्टि,यश प्राप्ति और हो सके तो अर्थ प्राप्ति भी है। २०१८ में श्री मेघवाल की रचना का प्रकाशन साझा काव्य संग्रह में हुआ है। आपकी लेखनी को बाबू बालमुकुंद गुप्त साहित्य सेवा सम्मान-२०१७ सहित अन्य से सम्मानित किया गया है|