डॉ.अशोक
पटना(बिहार)
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पावन सावन-मन का आँगन…
पावन पवित्र सावन,
पवित्र भावनाओं को सहेजने वाली
अनुपमा का अपूर्व सौन्दर्य है,
उन्नत ईश्वरीय खोज का
सुन्दर आभार लगता है यहाँ,
मानों हम घोषित कर दिए गए दिग्विजय हैं,
हमें मिल रहा है यहां पर
सावन का सुखद व सर्वोत्तम उपहार है।
नीलकंठ महादेव को रहता है सदैव,
यह माह बहुत प्यारा
भक्तों को स्वयं देते हैं दर्शन,
बन जाते हैं सबका अन्तिम सहारा।
सबके बीच में रहते हैं बनकर स्वीकार्य,
सावन माह में मन मन्दिर संग
घर-आँगन की बढ़ जाती शोभा है,
सहिष्णुता और संस्कार को साथ-साथ
अपनाने से बढ़ जाती है जन-जन के,
हृदय तल में एक पारदर्शी आभा है।
खुशियाँ और सुकून देने वाला,
यह सबसे पावन व पवित्र माह है
खुशियाँ और आनन्द से सम्मानित यह,
सब पर रखता कृपा समाह है।
शिव को रिझाने का सबसे उत्तम व्यवहार है,
सावन में शिव का मिलता भक्तों को उपहार है॥
परिचय–पटना (बिहार) में निवासरत डॉ.अशोक कुमार शर्मा कविता, लेख, लघुकथा व बाल कहानी लिखते हैं। आप डॉ.अशोक के नाम से रचना कर्म में सक्रिय हैं। शिक्षा एम.काम., एम.ए.(अंग्रेजी, राजनीति शास्त्र, अर्थशास्त्र, हिंदी, इतिहास, लोक प्रशासन व ग्रामीण विकास) सहित एलएलबी, एलएलएम, एमबीए, सीएआईआईबी व पीएच.-डी.(रांची) है। अपर आयुक्त (प्रशासन) पद से सेवानिवृत्त डॉ. शर्मा द्वारा लिखित कई लघुकथा और कविता संग्रह प्रकाशित हुए हैं, जिसमें-क्षितिज, गुलदस्ता, रजनीगंधा (लघुकथा) आदि हैं। अमलतास, शेफालिका, गुलमोहर, चंद्रमलिका, नीलकमल एवं अपराजिता (लघुकथा संग्रह) आदि प्रकाशन में है। ऐसे ही ५ बाल कहानी (पक्षियों की एकता की शक्ति, चिंटू लोमड़ी की चालाकी एवं रियान कौवा की झूठी चाल आदि) प्रकाशित हो चुकी है। आपने सम्मान के रूप में अंतराष्ट्रीय हिंदी साहित्य मंच द्वारा काव्य क्षेत्र में तीसरा, लेखन क्षेत्र में प्रथम, पांचवां व आठवां स्थान प्राप्त किया है। प्रदेश एवं राष्ट्रीय स्तर के कई अखबारों में आपकी रचनाएं प्रकाशित हुई हैं।