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पूजा होती ज्ञान की

डॉ.एन.के. सेठी
बांदीकुई (राजस्थान)

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करो इष्ट का ध्यान,पूजा मन से कीजिए।
होते ईश समान,माता-पिता को पूजिए॥

करें नहीं अपमान,मात-पिता गुरु पूज्य हैं।
करें सदा सम्मान,ईश्वर से भी हैं बड़े॥

मिट जाता अज्ञान,पूजा होती ज्ञान की।
मनुज ही पशु समान,ज्ञान बिना होता सदा॥

हैं जीवन के अंग,पूजा जप तप ध्यान सब।
भर जाते हैं रंग,जीवन सुख से पूर्ण हो॥

योगी के हैं प्राण,भक्ति योग पूजा सभी।
भय से होता त्राण,आत्मिक सुख मिलता उसे॥

कोमल-सा अहसास,प्रेम शक्ति अरु भक्ति है।
ईश्वर सम विश्वास,प्रेम तपस्या साधना॥

होय कष्ट सब दूर,करो साधना योग की।
शांति होय भरपूर,जीवन में सुख वास हो॥

रहता सदा निरोग,नित्य करे जो साधना।
पाता है सुख भोग,सुख से जीवन में रहे॥

सुधरेंगे सब काज,हरि की भक्ति करो सभी।
सुधरेगा कल आज,करो साधना ईश की॥

मन में रख विश्वास,मार्ग कठिन है साधना।
पूरण होगी आस,दृढ़ता से लग जाइये॥

परिचय-पेशे से अर्द्ध सरकारी महाविद्यालय में प्राचार्य (बांदीकुई,दौसा)डॉ.एन.के. सेठी का बांदीकुई में ही स्थाई निवास है। १९७३ में १५ जुलाई को बांदीकुई (राजस्थान) में जन्मे डॉ.सेठी की शैक्षिक योग्यता एम.ए.(संस्कृत,हिंदी),एम.फिल.,पीएच-डी., साहित्याचार्य,शिक्षा शास्त्री और बीजेएमसी है। शोध निदेशक डॉ.सेठी लगभग ५० राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठियों में विभिन्न विषयों पर शोध-पत्र वाचन कर चुके हैं,तो कई शोध पत्रों का अंतर्राष्ट्रीय पत्रिकाओं में प्रकाशन हुआ है। पाठ्यक्रमों पर आधारित लगभग १५ व्याख्यात्मक पुस्तक प्रकाशित हैं। कविताएं विभिन्न पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं। आपका साहित्यिक उपनाम ‘नवनीत’ है। हिंदी और संस्कृत भाषा का ज्ञान रखने वाले राजस्थानवासी डॉ. सेठी सामाजिक गतिविधि के अंतर्गत कई सामाजिक संगठनों से जुड़ाव रखे हुए हैं। इनकी लेखन विधा-कविता,गीत तथा आलेख है। आपकी विशेष उपलब्धि-राष्ट्रीय अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठियों में शोध-पत्र का वाचन है। लेखनी का उद्देश्य-स्वान्तः सुखाय है। मुंशी प्रेमचंद पसंदीदा हिन्दी लेखक हैं तो प्रेरणा पुंज-स्वामी विवेकानंद जी हैं। देश और हिंदी भाषा के प्रति आपके विचार-
‘गर्व हमें है अपने ऊपर,
हम हिन्द के वासी हैं।
जाति धर्म चाहे कोई हो 
हम सब हिंदी भाषी हैं॥’

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