कमलेश वर्मा ‘कोमल’
अलवर (राजस्थान)
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प्यारा भारत देश हमारा, न्यारा भारत देश हमारा,
भिन्न-भिन्न भाषाओं वाला सबसे प्यारा देश हमारा।
ऊँचे-ऊँचे पर्वत यहाँ पर सीना ताने खड़े हैं,
कल-कल करती नदियों का जल पावनता लिए है।
अलग-अलग भाषाओं वाला मेरा भारत देश हमारा,
अलग-अलग पहनावों वाला ऐसा मेरा देश हमारा।
नृत्य, कला और संस्कृति से है भारत की पहचान,
कमल, मोर और बाघ यही है राष्ट्र की शान।
अलग-अलग बोली-भाषा यहाँ की एकता लिए है,
हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई सभी को एक किए हैं।
भारत भूमि पर संत-महात्मा ने ज्ञान का पाठ पढ़ाया,
संत कबीर, तुलसी, सूर ने भक्ति का मार्ग बताया।
महान् योद्धा जन्मे इस धरती पर, यह गौरव की बात है,
क्रांतिकारियों ने प्राण गंवाकर दी आजादी की सौगात है।
लहू बहाकर कुर्बानी दी देश आजाद कराया,
तभी तो भारत देश ने आजादी का पर्व मनाया॥
परिचय –कमलेश वर्मा लेखन जगत में उपनाम ‘कोमल’ से पहचान रखती हैं। ७ जुलाई १९८१ को दुनिया में आई रामगढ़ (अलवर) वासी कोमल का वर्तमान और स्थाई बसेरा जिला अलवर (राजस्थान) में ही है। आपको हिन्दी, संस्कृत व अंग्रेजी भाषा का ज्ञान है। एम.ए. व बी.एड. तक शिक्षित कमलेश वर्मा ‘कोमल’ का कार्यक्षेत्र व्याख्याता (निजी संस्था) का है। इनकी लेखन विधा-गीत व कविता है। इनकी रचनाएं पत्र-पत्रिका में प्रकाशित हुई हैं तो ब्लॉग पर भी लेखन जारी है। आपकी लेखनी का उद्देश्य-“कविता के माध्यम से विचार प्रकट करना एवं लोगों को जागरूक करना है।” पसंदीदा हिन्दी लेखक-मुंशी प्रेमचंद, महादेवी वर्मा, एवं जय शंकर प्रसाद हैं तो विशेषज्ञता- पद्य में है। बात की जाए जीवन लक्ष्य की तो भारतीय समाज में सम्मान प्राप्त करना है। देश और हिंदी भाषा के प्रति विचार -“राष्ट्र एक व्यक्ति के जीवन में महत्वपूर्ण स्थान रखता है। व्यक्ति के व्यक्तित्व का विकास राष्ट्र पर निर्भर करता है। हिंदी हमारी राष्ट्र और मातृत्व भाषा है, जो सरल तरीके से समझी और बोली भी जा सकती है। इसलिए इसे बढ़ाया ही जाना चाहिए।”