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प्यार

विरेन्द्र कुमार साहू
गरियाबंद (छत्तीसगढ़)
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बक-बक करते रात-दिन,वह है मूढ़ महान।
प्यार शब्द जो बाँच ले,वही खरा विद्वान॥

ढाई अक्षर से बना,शब्द अनोखा प्यार।
मन का मन से जोड़ का,एक यही आधार॥

कभी किसी के सामने,नहीं झुकेगा शीश।
प्यार करो माँ-बाप से,मिल जाएगा ईश॥

दिखते हैं संसार में,भाँत-भाँति के प्यार।
कुछ का निश्छल प्रीत तो,है कुछ का व्यापार॥

सचमुच सच्चे प्यार में,होते रब का वास।
राधा मोहन इसलिए,हुए जगत में खास॥

 

परिचय-विरेन्द्र कुमार साहू का जन्म १५ दिसम्बर १९८७ को बोड़राबांधा (राजिम) में हुआ हैl आपका वर्तमान निवास ग्राम-बोड़राबांधा,पोड़(पाण्डु का),जिला-गरियाबंद (छत्तीसगढ़)हैl यही स्थाई निवास भी हैl छत्तीसगढ़ राज्य के श्री साहू ने एम.ए.(हिन्दी) और डी.पी.ई. की शिक्षा प्राप्त की हैl आप कार्यक्षेत्र में शिक्षक हैंl सामाजिक गतिविधि के अंतर्गत स्वयं के समाज में सेवी हैंl आपकी लेखन विधा-गीत,कविता हैl ब्लॉग पर भी सक्रिय लेखन करते हैंl वीरेंद्र साहू की लेखनी का उद्देश्य-भावों की अभिव्यक्ति से नवजागरण करना हैl

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