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प्रकृति के पर्व को नमन

डॉ.अशोक
पटना(बिहार)
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आस्था,विश्वास व परम्परा की,
एक उत्तम संस्कृति है
प्रकृति के सौंदर्य की यहां,
मिलती सुन्दर आकृति है।

उदयमान-अस्ताचल सूर्य की,
एक अपूर्व आस्था का है यह पर्व
देते सीख हैं जिसके विभिन्न प्रकार,
सबको है प्रकृति के पर्व पर गर्व।

सूर्य,नदी,जलाशय व तालाब में,
इस दिन दिखती उन्नत सुन्दर निखार
केला,गन्ना व कंदमूल सब इस दिन,
दिखते जैसे हैं एक स्वर्णिम उपहार।

कद्दू,चावल,फल,व गुड़-दूध की,
खूब होती है आज़ गज़ब दुहाई
खरना प्रसाद की है महत्ता यहां खूब,
अमीर-गरीब हैं जैसे सब भाई-भाई।

प्रथम अर्घ्य है हृदय से,
अस्ताचल सूर्य देव का
निस्तारण के दिन दिखता यहां,
शौर्य जो उदयमान इष्टदेव सूर्य का।

ठेकुआ-लडुआ और फल का,
यहां रहता है खूब साम्राज्य।
व्रतियों के लिए है यह पावन दिन,
एक उत्तम संस्कृति का लगता है त्योहार॥

परिचय-पटना(बिहार) में निवासरत डॉ.अशोक कुमार शर्मा कविता,लेख,लघुकथा व बाल कहानी लिखते हैं। आप डॉ.अशोक के नाम से रचना कर्म में सक्रिय हैं। शिक्षा एम.काम.,एम.ए.(राजनीति शास्त्र,अर्थशास्त्र, हिंदी,इतिहास,लोक प्रशासन एवं ग्रामीण विकास) सहित एलएलबी,एलएलएम,सीएआईआईबी, एमबीए व पीएच-डी.(रांची) है। अपर आयुक्त (प्रशासन)पद से सेवानिवृत्त डॉ. शर्मा द्वारा लिखित अनेक लघुकथा और कविता संग्रह प्रकाशित हुए हैं,जिसमें-क्षितिज,गुलदस्ता, रजनीगंधा (लघुकथा संग्रह) आदि है। अमलतास,शेफालीका,गुलमोहर, चंद्रमलिका,नीलकमल एवं अपराजिता (लघुकथा संग्रह) आदि प्रकाशन में है। ऐसे ही ५ बाल कहानी (पक्षियों की एकता की शक्ति,चिंटू लोमड़ी की चालाकी एवं रियान कौवा की झूठी चाल आदि) प्रकाशित हो चुकी है। आपने सम्मान के रूप में अंतराष्ट्रीय हिंदी साहित्य मंच द्वारा काव्य क्षेत्र में तीसरा,लेखन क्षेत्र में प्रथम,पांचवां,आठवां स्थान प्राप्त किया है। प्रदेश एवं राष्ट्रीय स्तर के अखबारों में आपकी रचनाएं प्रकाशित हुई हैं।

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