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प्रकृति को पवित्र बनाओ

मुकेश कुमार मोदी
बीकानेर (राजस्थान)
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जहरीले धुएं से भरा हुआ, हर शहर नजर आता,
कैसे जीवन बचेगा, किसी को समझ नहीं आता।

शुद्ध हवा में साँस लेना, हो गई वर्षों पुरानी बात,
अब तो बस धुंआ ही पीते, सुबह-शाम दिन-रात।

आधुनिकता ने चारों और, ऐसा आतंक फैलाया,
इसमें घिरने वाला हर कोई, लाचार नजर आया।

प्रदूषण फैलाने के लिए, इंसान हो गया मजबूर,
भौतिक साधन का त्याग करना, नहीं उसे मंजूर।

लुप्त हुई अपने भारत से, सात्विक जीवन-शैली,
इसी कारण सम्पूर्ण प्रकृति, हो गई कितनी मैली।

भले रहता हो बंगले में, चाहे चलाए मोटर गाड़ी,
खुद अपने ही पैरों पर इंसान, मार रहा कुल्हाड़ी।

भौतिकता का आकर्षण, सभ्यता को मिटाएगा,
एक दिन इंसान रोगों का, संग्रहालय बन जाएगा।

आने वाली पीढ़ी को यदि, तुम चाहते हो बचाना,
सात्विक जीवन शैली अभी, शुरू करो अपनाना।

प्रदूषण मिटाने की, नई विधियां निकालते जाओ,
प्रदूषण फैलाने वाले, साधन का उपयोग घटाओ।

अपने आसपास चारों और, पेड़ ही पेड़ लगाओ,
बंजर पड़ी हर जमीन को, तुम हरी-भरी बनाओ।

प्रकृति को पवित्र बनाने का, आन्दोलन चलाओ,
इस आन्दोलन को, विश्व स्तर पर सफल बनाओ॥

परिचय – मुकेश कुमार मोदी का स्थाई निवास बीकानेर में है। १६ दिसम्बर १९७३ को संगरिया (राजस्थान)में जन्मे मुकेश मोदी को हिंदी व अंग्रेजी भाषा क़ा ज्ञान है। कला के राज्य राजस्थान के वासी श्री मोदी की पूर्ण शिक्षा स्नातक(वाणिज्य) है। आप सत्र न्यायालय में प्रस्तुतकार के पद पर कार्यरत होकर कविता लेखन से अपनी भावना अभिव्यक्त करते हैं। इनकी विशेष उपलब्धि-शब्दांचल राजस्थान की आभासी प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक प्राप्त करना है। वेबसाइट पर १०० से अधिक कविताएं प्रदर्शित होने पर सम्मान भी मिला है। इनकी लेखनी का उद्देश्य-समाज में नैतिक और आध्यात्मिक जीवन मूल्यों को पुनर्जीवित करने का प्रयास करना है। ब्रह्मकुमारीज से प्राप्त आध्यात्मिक शिक्षा आपकी प्रेरणा है, जबकि विशेषज्ञता-हिन्दी टंकण करना है। आपका जीवन लक्ष्य-समाज में आध्यात्मिक और नैतिक मूल्यों की जागृति लाना है। देश और हिंदी भाषा के प्रति आपके विचार-‘हिन्दी एक अतुलनीय, सुमधुर, भावपूर्ण, आध्यात्मिक, सरल और सभ्य भाषा है।’

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