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प्रेरक नायक थे

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’
बेंगलुरु (कर्नाटक)

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सत्य अहिंसा मूर्ति मान जो,
२४ वें तीर्थंकर महावीर थे
त्याग तपस्या ओत-प्रोत नित,
सिद्धार्थ त्रिशला पुत्र धीर थे।

वर्धमान अतिवीर सन्मति,
महावीर प्रभु तीर्थंकर थे
लिया जन्म वैशाली बसाढ़,
गाँव चैत्र शुक्ल तेरस थे।

क्षत्रिय कुल राजकुमार वह,
ईसा पूर्व ५९९ वर्ष पूर्व था
वैशाली गणतंत्र प्रथम जग,
क्षत्रिय कुण्डलपुर जातक थे।

हिंसा, पशुबल जाति-धर्म का,
परम विरोधी क्रान्तिदूत थे
श्रेयांस जसस ज्ञातृवंश तनय,
काश्यप गोत्र महावीर थे।

नंदीवर्धन नामक अग्रज,
सुदर्शना भगिनी प्रमुदित थे
धनुष बाण शिक्षा अध्यापन,
महावीर अभिरुचि बचपन थे।

श्रामणी दीक्षा तीस वर्ष में,
वर्धमान प्रभु श्रमण बने थे
बिना लंगोटी परिग्रह काया,
अयाची साधु ध्यान मग्न थे।

मौन साधना द्वादश वर्षक,
कैवल्य ज्ञान पा प्रमुदित थे
चतुर्याम ब्रह्मचर्य जोड़ प्रभु,
पंच महाव्रत धर्म प्रवर्तक थे।

चंचल मन एकादश इन्द्रिय,
किया नियंत्रित शान्ति दूत थे
सत्य अहिंसा प्रीति जीव जग,
विरत मोह तन कोपमुक्त थे।

करुणा ममता दया क्षमा शिव,
सदाचार सत्पथी अटल थे
मानवता नैतिकमूल्यक पथ,
परमारथ पौरुष अविरत थे।

नश्वर तन धन जीवन सब जग,
सत्यपूत देवांश पथिक थे
मधुर भाष परमार्थ सुयश रत,
गायक नायक ज्ञान रथिक थे।

चतुर्विध संघ किया स्थापन,
संघ शक्ति चहुँ प्रसारक थे
जो जिसका अधिकारी है जग,
सम्यकत्व प्रेरक नायक थे।

पार्श्वनाथ २३ वें तीर्थंकर,
अनुयायी बन शान्तिदूत थे
२४ वें महावीर तीर्थंकर प्रभु,
वर्धमान पथ निर्वाणक थे।

प्राप्त हुए निर्वाण मोक्ष पद,
कार्तिक अमावश शुभ दिवस थे।
पावापुरी पुण्य धरा बिहार,
जैन धर्म जग उन्नायक थे॥

परिचय-डॉ.राम कुमार झा का साहित्यिक उपनाम ‘निकुंज’ है। १४ जुलाई १९६६ को दरभंगा में जन्मे डॉ. झा का वर्तमान निवास बेंगलुरु (कर्नाटक)में,जबकि स्थाई पता-दिल्ली स्थित एन.सी.आर.(गाज़ियाबाद)है। हिन्दी,संस्कृत,अंग्रेजी,मैथिली,बंगला, नेपाली,असमिया,भोजपुरी एवं डोगरी आदि भाषाओं का ज्ञान रखने वाले श्री झा का संबंध शहर लोनी(गाजि़याबाद उत्तर प्रदेश)से है। शिक्षा एम.ए.(हिन्दी, संस्कृत,इतिहास),बी.एड.,एल.एल.बी., पीएच-डी. और जे.आर.एफ. है। आपका कार्यक्षेत्र-वरिष्ठ अध्यापक (मल्लेश्वरम्,बेंगलूरु) का है। सामाजिक गतिविधि के अंतर्गत आप हिंंदी भाषा के प्रसार-प्रचार में ५० से अधिक राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय साहित्यिक सामाजिक सांस्कृतिक संस्थाओं से जुड़कर सक्रिय हैं। लेखन विधा-मुक्तक,छन्दबद्ध काव्य,कथा,गीत,लेख ,ग़ज़ल और समालोचना है। प्रकाशन में डॉ.झा के खाते में काव्य संग्रह,दोहा मुक्तावली,कराहती संवेदनाएँ(शीघ्र ही)प्रस्तावित हैं,तो संस्कृत में महाभारते अंतर्राष्ट्रीय-सम्बन्धः कूटनीतिश्च(समालोचनात्मक ग्रन्थ) एवं सूक्ति-नवनीतम् भी आने वाली है। विभिन्न अखबारों में भी आपकी रचनाएँ प्रकाशित हैं। विशेष उपलब्धि-साहित्यिक संस्था का व्यवस्थापक सदस्य,मानद कवि से अलंकृत और एक संस्था का पूर्व महासचिव होना है। इनकी लेखनी का उद्देश्य-हिन्दी साहित्य का विशेषकर अहिन्दी भाषा भाषियों में लेखन माध्यम से प्रचार-प्रसार सह सेवा करना है। पसंदीदा हिन्दी लेखक-महाप्राण सूर्यकान्त त्रिपाठी ‘निराला’ है। प्रेरणा पुंज- वैयाकरण झा(सह कवि स्व.पं. शिवशंकर झा)और डॉ.भगवतीचरण मिश्र है। आपकी विशेषज्ञता दोहा लेखन,मुक्तक काव्य और समालोचन सह रंगकर्मी की है। देश और हिन्दी भाषा के प्रति आपके विचार(दोहा)-
स्वभाषा सम्मान बढ़े,देश-भक्ति अभिमान।
जिसने दी है जिंदगी,बढ़ा शान दूँ जान॥ 
ऋण चुका मैं धन्य बनूँ,जो दी भाषा ज्ञान।
हिन्दी मेरी रूह है,जो भारत पहचान॥

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