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फल संविधान से पके हुए…

दुर्गेश कुमार मेघवाल ‘डी.कुमार ‘अजस्र’
बूंदी (राजस्थान)
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पेड़ के ऊपर बैठकर तुम,
पेड़ की डाल को काट रहे
बुद्धिमत्ता कहकर इसको भी,
पाँव कुल्हाड़ी मार रहे।

‘अजस्र’ इतिहास के जख्मों भरना,
काम समय का होगा भविष्य
जख्मों को अपने कुरेद-कुरेद कर,
नासूर तो खुद ही बना रहे।

स्व की कोटर बैठ कर तुम,
कूपमंडूक बन जाओगे
उन्मुक्त गगन है तुमको पुकारे,
पंख जो अपने फैलाओगे।

‘अजस्र’ प्रेम की सृष्टि देखो,
असंख्य रंगों से भरा संसार
बहकावे में भ्रमित होकर,
अपनों से ही कट जाओगे।

पेड़ मैं हूँ तो तना भीम है,
पुष्प-पत्र सब खिले हुए
जड़ों में संस्कृति, वो भारत की,
तन और मन है मिले हुए।

एक ने मुझको दिया है जीवन,
एक ने जीना सिखलाया
भारत-भीम-अजस्र सूर्य वो,
फल संविधान से पके हुए।

शासन, सिंहासन पाना है तो,
पहले उसके योग्य बनो
अन्याय से जीत मिल ही जाएगी,
तान के सीना उससे ठनो।

सफल मुकाम खुद को ही बनाना,
गहन मेहनत प्रयासों से।
तोड़ बैसाखी, अब पाँव संभालो,
‘अजस्र’ भविष्य आप चुनो॥

परिचय–आप लेखन क्षेत्र में डी.कुमार’अजस्र’ के नाम से पहचाने जाते हैं। दुर्गेश कुमार मेघवाल की जन्मतिथि-१७ मई १९७७ तथा जन्म स्थान-बूंदी (राजस्थान) है। आप राजस्थान के बूंदी शहर में इंद्रा कॉलोनी में बसे हुए हैं। हिन्दी में स्नातकोत्तर तक शिक्षा लेने के बाद शिक्षा को कार्यक्षेत्र बना रखा है। सामाजिक क्षेत्र में आप शिक्षक के रुप में जागरूकता फैलाते हैं। लेखन विधा-काव्य और आलेख है,और इसके ज़रिए ही सामाजिक मीडिया पर सक्रिय हैं।आपके लेखन का उद्देश्य-नागरी लिपि की सेवा,मन की सन्तुष्टि,यश प्राप्ति और हो सके तो अर्थ प्राप्ति भी है। २०१८ में श्री मेघवाल की रचना का प्रकाशन साझा काव्य संग्रह में हुआ है। आपकी लेखनी को बाबू बालमुकुंद गुप्त साहित्य सेवा सम्मान-२०१७ सहित अन्य से सम्मानित किया गया है|