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शुभंकारी कालरात्रि

सपना सी.पी. साहू ‘स्वप्निल’
इंदौर (मध्यप्रदेश )
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भाग-७…

सप्तशक्ति कालरात्रि,
वर्ण ज्यों घनेरी रात्रि
त्रिनेत्री, केश बिखरे,
गले विद्युत माला।

नेत्र ब्रह्माण्ड सदृश्य,
नास्य से ज्वालाएँ दृश्य
शस्त्र खड्ग, काँटा लिए,
वाहन गदर्भ वाला।

स्वरूप में भयंकरी,
पर अति शुभंकारी
माँ स्मृति से डरे प्रेत,
कुग्रह पडे़ ताला।

गुलाबी वस्त्र धारण,
कृष्ण कमल चरण
अक्षय पुण्य की प्राप्ति,
माँ ने विघ्नों को टाला।

एकनिष्ठ माँ को ध्याओ,
त्रासदी से पार पाओ
मन रखो पवित्रता,
हर्ष माँ ने दे डाला॥