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फूल तो फूल हैं

अजय जैन ‘विकल्प’
इंदौर(मध्यप्रदेश)
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फूल तो फूल हैं,महकेगें ही साँझ या सवेरे,
नहीं होते हैं,शायद ये इन्सानों की तरह।

कट गए हों कभी वक्त के हाथों पर जिनके,
उड़ भी नहीं सकते वो मेहमानों की तरह।

इश्क है-अश्क है,हार,नहीं सकते भुला,
नजरें फिराना मुश्किल है,अनजानों की तरह।

कहते हैं खुदा बसता है,छोटी-छोटी-सी जानों में,
क्यूँ न इन्हें ही पूज लें भगवानों की तरह॥

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