अजय जैन ‘विकल्प’
इंदौर(मध्यप्रदेश)
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स्नेह के धागे…
भाई-बहन
अमूल्य सूत रिश्ता
बड़ा बंधन।
धागा है स्नेह
निभाना जिन्दगी में
रखना नेह।
प्रेम अटूट
मन रखना डोर
ना जाए टूट।
विश्वास डोर
सदा संजोना बस
प्रेम का दौर।
छोड़ना मत
यादें बचपन की
तोड़ना मत।
नाराजी न हो
बंधन हृदय का
हो सदा रक्षा।
दूरी भले हो
दु:ख-सुख में साथ
दिल एक हो।
भाल तिलक
बहन दे आशीष
खुशी चमक।
मन हो बड़ा
अहमियत रखो
स्नेह हो कड़ा।
बांधों यूँ डोर
खटास से बचाना
मिठास बढ़े।
दु:ख-सुख
नहीं तेरा-मेरा हो
रहना साथ।
धागे हैं कच्चे
महापर्व है राखी
रिश्ते हैं सच्चे।
सिमटे नहीं
रहो निःस्वार्थ सदा
छोड़ना नहीं।
हो नोंक-झोंक
सीमा पार हो भाई
न मन रोक।
करना गर्व
भाई-बहन मिले
मनाओ पर्व।
शुभ भावना
संकल्प रखो सदा
खुशी कामना।
सुकून ‘राखी’
परिवार संस्कृति
खुशी इनमें।
मिली खुशियाँ
दिल से दिल मिला
मनाएं राखी॥