अजय जैन ‘विकल्प’
इंदौर(मध्यप्रदेश)
******************************************
गरजे घन
झूम उठी बरखा
बहके मन।
बदरा आए
झूम उठी फ़िज़ाएं
आनंदित हैं।
सौंधी खुशबू
चले यूँ पुरवाई
उड़े मनवा।
बरस रही
रिमझिम बारिश
झूम लूँ जरा।
आए बादल
पिया का इंतजार
बावरा जिया।
मेंढक गाए
दिन बरसात के
थिरके मन।
मस्ती का फेरा
नाचे मन मयूरा
खुशी का डेरा।
आई खुशियाँ
मुस्काई फिर धरा
फूली बगिया।
फैला आनंद
है दृश्य मनोरम
मन पसंद।
आया सावन
नदारद तपिश
भाया सावन॥