अजय जैन ‘विकल्प’
इंदौर(मध्यप्रदेश)
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‘देश’,
सबसे पहले
मातृभूमि के लिए,
बलिदानी बनना
देशभक्ति।
‘हिन्दुस्तान’,
लहू मेरा
सेना का मान,
सदा बढ़े
अभिमान।
‘आजादी’,
अनमोल सदा
इसे सहेजें हम,
यही है
विरासत।
‘शौर्य’,
सदा रहे
राष्ट्र प्रगति हो,
रोटी, कपड़ा
मकान।
‘एकता’,
बनी रहे
आए ज़ब संकट,
रहें साथ
हम।
‘बेईमान’,
बनें नहीं
सबको साथ लें,
ईमानदारी संग
दौड़ें।
‘वतन’,
भारत महान
इसमें बसती जान,
दाग नहीं
लगाना।
‘सेना’,
सदा रक्षक
मदद करना सबकी,
इनका हुनर
सिरमौर।