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बसंती बयार

मनोरमा जोशी ‘मनु’ 
इंदौर(मध्यप्रदेश) 
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मेरे पिया गये परदेश,
सखी री मेरा मन तरसे
बसंती रंग बरसे,
जिया में कैसे रंग हरखे।
सरसों बढ़ती अरहर बढ़ती,
गढ़ती नहीं कहानी
राह ताकते हो गई उमर सयानी,
टूट गये सब्र के फूल
मन पुलके तन हरसे,
बसंती रंग बरसे।
बौर फूलते गेंदा हँसते,
महुआ भी यदमात
कौन जतन हो सखी हमारे,
पिया मिलन हो जाये।
दीप आस के बुझे कहीं,
काँप उठी इस डर से
ऐ री सखी न पिया हमारे,
दहकन लगें पलाश।
पगलाई धरा लगती है बोराया आकाश,
चातक जैसी अकुलाहट है
बुझ पाये अमृत बसंत से,
अमृत बरसे,बसंती रंग बरसे॥

परिचय-श्रीमती मनोरमा जोशी का निवास मध्यप्रदेश के इंदौर जिला स्थित विजय नगर में है। आपका साहित्यिक उपनाम ‘मनु’ है। आपकी जन्मतिथि १९ दिसम्बर १९५३ और जन्मस्थान नरसिंहगढ़ है। शिक्षा-स्नातकोत्तर और संगीत है। कार्यक्षेत्र-सामाजिक क्षेत्र-इन्दौर शहर ही है। लेखन विधा में कविता और लेख लिखती हैं।विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में आपकी लेखनी का प्रकाशन होता रहा है। राष्ट्रीय कीर्ति सम्मान सहित साहित्य शिरोमणि सम्मान और सुशीला देवी सम्मान प्रमुख रुप से आपको मिले हैं। उपलब्धि संगीत शिक्षक,मालवी नाटक में अभिनय और समाजसेवा करना है। आपके लेखन का उद्देश्य-हिंदी का प्रचार-प्रसार और जन कल्याण है।कार्यक्षेत्र इंदौर शहर है। आप सामाजिक क्षेत्र में विविध गतिविधियों में सक्रिय रहती हैं। एक काव्य संग्रह में आपकी रचना प्रकाशित हुई है।

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