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बहुत कुछ बाकी है

डॉ.अशोक
पटना(बिहार)
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जिंदगी के सफ़र में,
बिखर चुके हैं जीने के अरमां
हासिल करने की कोशिश,
बहुत की गई
बंदिश नहीं देखी मैंने,
जज्बा और जुनून
मन में समाएं रखा,
अब लगता है कि
मुझे फिर भी हार नहीं माननी होगी,
मजबूत इरादों से आगे बढ़ने की
भरपूर कोशिश करनी होगी,
क्योंकि, ज़िन्दगी में बहुत कुछ बाकी है…।

बच्चों को आगे बढ़ाने में,
मदद और बचाव की सीख दिलाने में
आचार-विचार को शुद्ध रखने के लिए,
बाक़ी बचे हुए कामों को पूरा करने के लिए
हमें मजबूती से आगे बढ़ना होगा,
बाक़ी बचे हुए अरमानों को समेटना होगा
अभी कोशिश की रफ्तार तेज करनी होगी,
हौंसले में बुलंदी लानी होगी,
क्योंकि, ज़िन्दगी में बहुत कुछ बाकी है…।

असफलताएं आम बात है,
नहीं किसी में दिखता हर वक्त साथ है
मुस्कुराते हुए हमें अपनी मंजिल के लिए लड़ना होगा,
चेहरे पे मुस्कान रखनी होगी
ख़बर गरम हो फिर भी,
आगे बचे हुए सफ़र को तय करना होगा
क्योंकि, ज़िन्दगी में बहुत कुछ बाकी है…।

सफ़र ज़िन्दगी का,
छोटी-सी नन्हीं दुनिया का सफ़र नहीं है
वक्त ने हालातों को नजरंदाज किया है,
समय पर लोगों ने साथ नहीं दिया है
मगर यह सफ़र का अन्त नहीं है,
मुश्किल वक्त में हालात बेहद ख़राब नहीं है
इसे हमें दुरूस्त करना होगा,
मजबूत इरादों से सना दिमाग रखना होगा,
क्योंकि, ज़िन्दगी में बहुत कुछ बाकी है…।

इरादों को लेकर गुफ्तगू हो,
मंजिल चुनने में खूब उम्मीद दिखे
इरादों पर न किसी की नज़र लगे,
आसमां-सा ख़ूब बुलन्द हौंसला रहे
इरादों को न नाराज़ करें,
मजबूती से आगे बढ़ें
सफलता मेहनतकश लोगों की जिन्दगी है,
इसमें कमजोरी एक नाकामी है
हमें इस दौर में आगे बढ़ना होगा,
अकेलेपन में भी सबकुछ सहना होगा
क्योंकि, ज़िन्दगी में बहुत कुछ बाकी है…।

जिंदगी को तराशने में,
बहुत कुछ जानना बाकी है
जीवन मंत्र की सच्चाई एक सच्ची कहानी है,
हमें खुले मन से सबकुछ आज़ जानने की जरूरत है
ज़िन्दगी की सबसे बड़ी अदालत में,
इस सच्चाई को सामने लाने की
बढ़ गई अहमियत है
सब बेपर्दा होकर भी आँखों से,
दूर रहने की कवायद करते हैं
मुश्किल वक्त में सच्चाई जानकर,
मजबूती से आगे बढ़ने में लोगों से दूर रहने की,
कोशिश करने में लगे हुए रहते हैं
हमें ज़िन्दगी के इस छिपे रहस्य को समझना होगा।
मुश्किल सफ़र में हमेशा,
सही तरीके पर अमल करना होगा,
क्योंकि, ज़िन्दगी में बहुत कुछ बाकी है…॥

परिचय–पटना (बिहार) में निवासरत डॉ.अशोक कुमार शर्मा कविता, लेख, लघुकथा व बाल कहानी लिखते हैं। आप डॉ.अशोक के नाम से रचना कर्म में सक्रिय हैं। शिक्षा एम.काम., एम.ए.(अंग्रेजी, राजनीति शास्त्र, अर्थशास्त्र, हिंदी, इतिहास, लोक प्रशासन व ग्रामीण विकास) सहित एलएलबी, एलएलएम, एमबीए, सीएआईआईबी व पीएच.-डी.(रांची) है। अपर आयुक्त (प्रशासन) पद से सेवानिवृत्त डॉ. शर्मा द्वारा लिखित कई लघुकथा और कविता संग्रह प्रकाशित हुए हैं, जिसमें-क्षितिज, गुलदस्ता, रजनीगंधा (लघुकथा) आदि हैं। अमलतास, शेफालिका, गुलमोहर, चंद्रमलिका, नीलकमल एवं अपराजिता (लघुकथा संग्रह) आदि प्रकाशन में है। ऐसे ही ५ बाल कहानी (पक्षियों की एकता की शक्ति, चिंटू लोमड़ी की चालाकी एवं रियान कौवा की झूठी चाल आदि) प्रकाशित हो चुकी है। आपने सम्मान के रूप में अंतराष्ट्रीय हिंदी साहित्य मंच द्वारा काव्य क्षेत्र में तीसरा, लेखन क्षेत्र में प्रथम, पांचवां व आठवां स्थान प्राप्त किया है। प्रदेश एवं राष्ट्रीय स्तर के कई अखबारों में आपकी रचनाएं प्रकाशित हुई हैं।

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