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बादल

प्रिया देवांगन ‘प्रियू’
पंडरिया (छत्तीसगढ़)
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काले बादल छा गये,नभ में चारों ओर।
घूम रहे पक्षी सभी,बच्चें करते शोर॥

शीतल चलती है हवा,तन-मन भी मुस्काय।
बूँद-बूँद बरसे जमीं,मन हर्षित हो जाय॥

सुंदर दिखते बाग हैं,लहराते हैं फूल।
बारिश बूँदें देख कर,पत्ते जाते झूल॥

छायी सावन की घटा,आयी है बरसात।
सोचे मानव देख कर,कैसे बीते रात॥

सूखे सूखे वृक्ष के,मन में खुशियाँ छाय।
बारिश की बौछार से,हरी-भरी हो जाय॥

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