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बेटी

एन.एल.एम. त्रिपाठी ‘पीताम्बर’ 
गोरखपुर(उत्तर प्रदेश)

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‘अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस’ स्पर्धा विशेष…………………

बेटी हम सबका नाज है,
अरमान है उम्मीद है…
हमारे मान का विश्वास है।

माँ की कोख में लड़ती सदा,
खुद के अस्तित्व की खातिर…
जीवन के पथ में योद्धा महान है।

पैदा हुई माँ को ताना,
किशोरा में समाज को
जवानी में दुनिया को ताना,
तमाम तानों से बेखबर
बुनती है जीवन का ताना-बाना।

रिश्तों का गैरव मान,
पुरूष पुरुषार्थ का सम्मान।

बेटी को घर में भय,
बाहर भय
कहीं निश्चित नहीं,
फिर भी डर से निडर हो
आसमान में सहजता से,
आशाओं के पंख लगाकर।

बेटी अभिमान,
है युग का स्वाभिमान।

वात्सल्य,ममता माँ,
बहन,बेटी,
नारी की शान।

शक्ति है नारी,
साक्षात् नव दुर्गा का मान।

ना झुकती कभी,
ना टूटती
ना मानती कभी हार पल-पल,
जीवन राष्ट्र
मानव मानवता,
समाज प्राण।

स्वतंत्र राष्ट्र में,
बेटी की मर्यादा…
उसकी अस्मत का अस्तित्व।

साहस शक्ति है धैर्य की,
धन्य धरा की हस्ती…
भारत का मान-पहचान।

दूरदृष्टि मजबूत इरादों से,
राष्ट्र निर्माण की
गरिमा गौरव बेटी,
भारत का भविष्य है
वर्तमान हैं बेटियां,
महान हैं बेटियां॥

परिचय-एन.एल.एम. त्रिपाठी का पूरा नाम नंदलाल मणी त्रिपाठी एवं साहित्यिक उपनाम पीताम्बर है। इनकी जन्मतिथि १० जनवरी १९६२ एवं जन्म स्थान-गोरखपुर है। आपका वर्तमान और स्थाई निवास गोरखपुर(उत्तर प्रदेश) में ही है। हिंदी,संस्कृत,अंग्रेजी और बंगाली भाषा का ज्ञान रखने वाले श्री त्रिपाठी की पूर्ण शिक्षा-परास्नातक हैl कार्यक्षेत्र-प्राचार्य(सरकारी बीमा प्रशिक्षण संस्थान) है। सामाजिक गतिविधि के निमित्त युवा संवर्धन,बेटी बचाओ आंदोलन,महिला सशक्तिकरण विकलांग और अक्षम लोगों के लिए प्रभावी परिणाम परक सहयोग करते हैं। इनकी लेखन विधा-कविता,गीत,ग़ज़ल,नाटक,उपन्यास और कहानी है। प्रकाशन में आपके खाते में-अधूरा इंसान (उपन्यास),उड़ान का पक्षी,रिश्ते जीवन के(काव्य संग्रह)है तो विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में भी रचनाएं प्रकाशित हुई हैं। ब्लॉग पर भी लिखते हैं। आपकी विशेष उपलब्धि-भारतीय धर्म दर्शन अध्ययन है। लेखनी का उद्देश्य-समाज में व्याप्त कुरीतियों को समाप्त करना है। लेखन में प्रेरणा पुंज-पूज्य माता-पिता,दादा और पूज्य डॉ. हरिवंशराय बच्चन हैं। विशेषज्ञता-सभी विषयों में स्नातकोत्तर तक शिक्षा दे सकने की क्षमता है।

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