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बेटी

सुरेश चन्द्र सर्वहारा
कोटा(राजस्थान)
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भेदभाव अपमान को,कदम-कदम पर झेलl
फिर भी बेटी बढ़ रही,ज्यों-त्यों जीवन ठेलll

कह सकते उनको नहीं,कभी सभ्य परिवारl
खाती हो जिनके यहाँ,बेटी गाली मारll

करें भरोसा बेटियाँ,बोलो किस पर आजl
कामुकता में लिप्त जब,घर परिवार समाजll

बेटी को देवी समझ,भले न पूजें पाँवl
लेकिन घर में तो उसे,दें सम्मानित ठाँवll

मत बेटी के जन्म पर,अपना कोस नसीबl
बेटे हो लें दूर पर,बेटी रहे करीबll

कितनी प्यारी बेटियाँ,सौम्य और शालीनl
थोड़ी भी खुशियाँ मिले,रहती उनमें लीनll

बिन बेटी के घर लगे,घुटा-घुटा वीरानl
बेटी घर की खिड़कियाँ,बेटी रोशनदानll

परिचय-सुरेश चन्द्र का लेखन में नाम `सर्वहारा` हैl जन्म २२ फरवरी १९६१ में उदयपुर(राजस्थान)में हुआ हैl आपकी शिक्षा-एम.ए.(संस्कृत एवं हिन्दी)हैl प्रकाशित कृतियों में-नागफनी,मन फिर हुआ उदास,मिट्टी से कटे लोग सहित पत्ता भर छाँव और पतझर के प्रतिबिम्ब(सभी काव्य संकलन)आदि ११ हैं। ऐसे ही-बाल गीत सुधा,बाल गीत पीयूष तथा बाल गीत सुमन आदि ७ बाल कविता संग्रह भी हैंl आप रेलवे से स्वैच्छिक सेवानिवृत्त अनुभाग अधिकारी होकर स्वतंत्र लेखन में हैं। आपका बसेरा कोटा(राजस्थान)में हैl

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