श्रीमती देवंती देवी
धनबाद (झारखंड)
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श्री शिव से बड़े कोई नहीं हैं भैया,
शिव बिना कोई ना पार करे नैया
कभी न भूलना, शिव हैं पालनहार,
परम सत्य है, शिव करते हैं उद्धार।
जो बनाया है शिव को अपना गुरु,
बढ़िया समय उनका, हो गया शुरू
माला रुद्राक्ष से, शिव को मनाईए
सुख, समृद्धि, ज्ञान, विज्ञान पाईए।
पहचानिए आप, शिव गुरु हैं कौन,
बिन मांगे देने वाले क्यों रहते मौन
शिव गुरु है जोगी, कहलाने वाले,
अंग में भभूत, तन मृग छाला डाले।
शिव कृपा से, जगत रौशन होता है,
शिव कृपा से सुखी जीवन होता है।
शिव गुरु को, कीजिए चरण वन्दन,
सपरिवार ‘बेल पत्र करिए अर्पण॥’
परिचय– श्रीमती देवंती देवी का ताल्लुक वर्तमान में स्थाई रुप से झारखण्ड से है,पर जन्म बिहार राज्य में हुआ है। २ अक्टूबर को संसार में आई धनबाद वासी श्रीमती देवंती देवी को हिन्दी-भोजपुरी भाषा का ज्ञान है। मैट्रिक तक शिक्षित होकर सामाजिक कार्यों में सतत सक्रिय हैं। आपने अनेक गाँवों में जाकर महिलाओं को प्रशिक्षण दिया है। दहेज प्रथा रोकने के लिए उसके विरोध में जनसंपर्क करते हुए बहुत जगह प्रौढ़ शिक्षा दी। अनेक महिलाओं को शिक्षित कर चुकी देवंती देवी को कविता,दोहा लिखना अति प्रिय है,तो गीत गाना भी अति प्रिय है