कुल पृष्ठ दर्शन : 456

You are currently viewing बेवफ़ाई का ग़म…

बेवफ़ाई का ग़म…

ताराचन्द वर्मा ‘डाबला’
अलवर(राजस्थान)
***************************************

ये उलझी-उलझी सी लटें,
क्यों मुझको उलझा रही है
मेरे सोए हुए अरमानों को,
फिर से जगा रही है।

भूल चुका हूँ गुजरी बातें,
वो कालेज की मुलाकातें
तुम्हारी ग़ज़ल और शायरी,
मेरी धड़कन बढ़ा रही है।

घायल ना कर दे कहीं मुझे,
तेरी ये शरारती निगाहें
सुर्ख होंठों की पंखुड़ियाँ,
फिर कंवल खिला रही है।

कहीं छू ना लूं पल्लू तुम्हारा,
फिर से मदहोशी में आकर
तुम्हारे पैरों की पायल,
हाय! ग़ज़ल सुना रही है।

सावन में बारिश की बूंदें,
मदहोश कर रही है मुझको
मत झटकाओ यूँ जुल्फें,
दिल पे बिजली गिरा रही है।

तुम्हारे हुस्न का जादू,
सिर चढ़ कर बोल रहा है।
तुम्हारी ये चंचल अदाएं,
बेवफ़ाई का ग़म भुला रही है॥

परिचय- ताराचंद वर्मा का निवास अलवर (राजस्थान) में है। साहित्यिक क्षेत्र में ‘डाबला’ उपनाम से प्रसिद्ध श्री वर्मा पेशे से शिक्षक हैं। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में कहानी,कविताएं एवं आलेख प्रकाशित हो चुके हैं। आप सतत लेखन में सक्रिय हैं।