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भारत का ‘इंडिया’ नाम हटाने को लेकर २ मंत्रालयों के बीच संशय

मुम्बई (महाराष्ट्र)।

‘वैश्विक हिंदी सम्मेलन’ तथा ‘जनता की आवाज फाउंडेशन’ सहित कई संस्थाओं द्वारा लंबे समय से भारत देश के नाम के साथ लगे ‘इंडिया’ नाम को हटाने के लिए मांग की जाती रही है। जैन मुनि आचार्य विद्यासागर जी महाराज द्वारा भी इस मांग को रखा गया है। इस बारे में २ मंत्रालयों के बीच के इस संशय को लेकर संविधान के अनुच्छेद १ में से ‘इंडिया’ नाम को हटाने और केवल भारत नाम अपनाए जाने की मांग करने वाले देशप्रेमियों के मन में भी संशय उत्पन्न हो गया है कि, आखिर यह मामला क्या है ? इस संबंध में सरकार गंभीर है भी या नहीं ? हम आशा करते हैं कि, अगर कोई संशय भी है तो उसे शीघ्र दूर कर लिया जाएगा ।
इस संबंध में सम्मेलन तथा फाउंडेशन द्वारा अप्रैल २०२२ में मुंबई में कार्यक्रम आयोजित किया गया था, जिसमें संविधान के अनुच्छेद १ में संशोधन करते हुए ‘इंडिया’ नाम हटाने और केवल ‘भारत’ अपनाने के साथ-साथ जनभाषा में न्याय की मांग की गई थी।
अंतत: २१ अप्रैल २०२३ को इंडिया नाम को संविधान से हटाने के संबंध में गृह मंत्रालय द्वारा कार्यालय ज्ञापन प्राप्त हुआ, जिसमें गृह मंत्रालय द्वारा विधि एवं न्याय मंत्रालय में उदय कुमार, (संयुक्त सचिव एवं विधायी काउंसिल, विधायी विभाग, विधि एवं न्याय मंत्रालय, शास्त्री भवन नई दिल्ली) को इस संबंध में कार्रवाई के लिए लिखा गया था। यह कार्यालय ज्ञापन किए जा रहे प्रयासों के लिए आशा की किरण लेकर आया था, लेकिन विधि एवं न्याय मंत्रालय के विधायी विभाग, विधायी अनुभाग-१ द्वारा जारी कार्यालय ज्ञापन (फाइल क्रमांक ११ (१) २०२३) प्राप्त हुआ, जो गृह मंत्रालय के इस संबंध में २१ अप्रैल के कार्यालय ज्ञापन संख्या के प्रत्युत्तर में गृह मंत्रालय के सचिव के निजी सचिव के नाम पर लिखा गया है। इस कार्यालय ज्ञापन में कहा गया है कि सरकार में अनुच्छेदों के आवंटन में संविधान का अनुच्छेद १ गृह मंत्रालय को आवंटित किया गया है। इसलिए इससे संबंधित नीतिगत निर्णय गृह मंत्रालय द्वारा ही लिया जाना है। इस कार्यालय ज्ञापन में यह भी स्पष्ट किया गया है कि, विधायी विभाग केवल एक सेवा विभाग है जिसका कार्य संबंधित मंत्रालय विभाग द्वारा लिए गए निर्णय के आधार पर मसौदा तैयार करना है।इसलिए यह अभ्यावेदन मंत्रालय को आवश्यक कार्रवाई के लिए लौटाया जाता है।
अब यह बात समझ से परे है कि, अगर विधायी विभाग की बात सही है और निर्णय गृह मंत्रालय को लेना है तो गृह मंत्रालय द्वारा इस संबंध में बिना कोई निर्णय लिए विधि एवं न्याय मंत्रालय को कार्रवाई के लिए कार्यालय ज्ञापन क्यों लिखा गया ?
हम गृह मंत्री अमित शाह से अनुरोध करते हैं कि, वे इस मामले में व्यक्तिगत रूप से अधिकारियों से चर्चा करते हुए गुलामी के दंश के रूप में स्थापित ‘इंडिया’ नाम को हटाते हुए हजारों वर्ष से भारत में प्रचलित भारत नाम को प्रतिष्ठित करने के लिए अनुच्छेद १ के संबंध में निर्णय लेते हुए शीघ्रातिशीघ्र संविधान संशोधन का मार्ग प्रशस्त करें और भारत भूमि पर भारत देश का नाम सभी भाषाओं में केवल भारत ही रहे और भारत ही प्रतिष्ठित हो, इसके लिए संविधान संशोधन करवाने की कृपा करें।
निश्चित रूप से यह निर्णय भारत की गरिमा गौरव के अनुकूल एक ऐतिहासिक कदम होगा। सदियों तक विश्व इस ऐतिहासिक निर्णय का स्मरण करेगा।

(सौजन्य:वैश्विक हिंदी सम्मेलन, मुम्बई)

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