कुल पृष्ठ दर्शन : 400

You are currently viewing भाषा की विविधता भारतीय संस्कृति का प्राण तत्व

भाषा की विविधता भारतीय संस्कृति का प्राण तत्व

भारतीय भाषा संगम…

गाँधी नगर (गुजरात)।

भारतीय भाषाएं ही भारतीय संस्कृति का प्राण तत्व हैं। न्यास के प्रयासों से १२ राज्यों में प्रान्तीय भाषा के माध्यम से उच्च शिक्षा का प्रारंभ हो चुका है, जिसमें चिकित्सा, अभियांत्रिकी, विधि एवं न्याय जैसे विषय शामिल हैं। प्रतियोगी परीक्षाओं में भी प्रान्तीय भाषाओं द्वारा परीक्षा देने का प्रावधान हो गया है। इस दिशा में अभी और प्रयास किए जाना शेष है।
गुजरात साहित्य अकादमी (गांधी नगर), शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास (नई दिल्ली) एवं स्टैचू ऑफ यूनिटी प्रशासन के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित भारतीय भाषा संगम में न्यास के राष्ट्रीय सचिव डॉ. अतुल कोठारी ने यह बात कही। संगम को सम्बोधित करते हुए गुजरात के सांस्कृतिक प्रवृत्तियाँ व प्रवासी विभाग मंत्री मूलुभाई बेरा ने देश के ४१ प्रांतों से आए प्रतिभागियों का अभिनंदन करते हुए महात्मा गाँधी व सरदार वल्लभ भाई पटेल द्वारा भारत के एकीकरण करने हेतु किए गए प्रयासों की चर्चा करते हुए कहा कि, भारत कि इस प्रकार के आयोजन भारतीय समाज में एकता का संचार करते हैं।
भारतीय भाषा मंच के राष्ट्रीय संयोजक डॉ. राजेश्वर कुमार ने कहा कि, भारत वर्ष के २९ राज्यों में से २३० नामांकित विद्वान, भाषाविद् पधारे तथा विभिन्न साहित्य अकादमियों, संस्थानों और विश्वविद्यालय आदि के प्रमुख उपस्थित रहे।
संगम को विभिन्न छोटे व समानांतर सत्र में बाँटा गया था। विभिन्न सत्रों में भारतीय भाषाओं के संदर्भ में भारतीय एकात्मकता, शिक्षा, शोध, शासन-प्रशासन, प्रतियोगी परीक्षाओं और रोजगार, व्यापार-व्यवसाय व वित्त क्षेत्र, सूचना प्रौद्योगिकी, कृत्रिम मेधा और भारतीय भाषाएँ, विधि एवं न्याय आदि विषयों पर नाना विद्वानों व भाषाविदों ने महत्वपूर्ण विचार प्रस्तुत किए।
पद्म भूषण प्रो.कपिल कपूर ने भारतीय भाषाओं के महत्व पर और पद्मश्री चमूकृष्ण शास्त्री ने नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में भारतीय भाषाओं पर वक्तव्य दिया। भाषा प्रौद्योगिकीविद डॉ. बुद्ध चंद्रशेखर ने अनुवादिनी टूल और माइक्रोसॉफ्ट के भाषा अधिकारी बालेन्दु शर्मा दाधिची ने भारतीय भाषा और तकनीकी के समन्वय पर महत्वपूर्ण प्रस्तुति दी।
महाराष्ट्र और गोवा से मंच केंद्रीय टोली के सदस्य डॉ. मोतीलाल गुप्ता ‘आदित्य’ के समन्वय में महाराष्ट्र से लक्ष्मण शिवणेकर, अश्विनी रांजणेकर, उत्कर्ष अग्रवाल, विशाला शर्मा, मंजरी गुप्ता और और गोवा से श्रीमती कृष्णा वालके, श्रीमती ज्योति कुलकर्णी, श्रीमती सुमन सामंत और सतीश धुरी ने प्रतिनिधित्व किया। विशिष्ट वक्ता के रूप में पुणे से श्रीमती लीना मेहेंदले और केंद्रीय हिंदी संस्थान के निदेशक सुनील कुलकर्णी उपस्थित रहे।
समापन सत्र में गोवा के राज्यपाल पी.एस. श्रीधरन पिल्लई ने अकादमी व न्यास के इस भगीरथ कार्य को साधुवाद दिया। अकादमी के महासचिव जयेंद्र जादव ने सभी का आभार ज्ञापन किया।

(सौजन्य:वैश्विक हिन्दी सम्मेलन, मुम्बई)