कुल पृष्ठ दर्शन : 262

You are currently viewing मधुमास मदन

मधुमास मदन

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’
बेंगलुरु (कर्नाटक)

*************************************************

आया मनभावन वसन्त…

मधुमास मदन मधुकान्त मगन, मनमोहन मुग्धा माधव है
माधुर्य माधुरी मधुरिम मन, मानिनी मनोहर मानव है।

नयनाभिराम नवनीत नयन, नयनाश्रु नीर मन पावन है
सरसिज सुगन्ध सुरभित सुन्दर, शशिकला सहज हिय साजन है।

निशिकांत निशा निशि प्रेम विरह नैनाश्रु नीर नित जीवन है,
वसुधा बसन्त रसराज रसिक, कोकिला कूक संजीवन है।

कोमल कलसी लखि मन वियोग, यौवन तरंग मद घायल है,
रजनीश मिलन अनुमोदन सखि, आकर्षण सजनी पायल है।

अलबेली नशा परणीता मन, बस, पान प्रेम रस प्रियतम है
आलिंगन हिय प्रेमांचल प्रिय, प्रमुदित सजनी बन सरगम है।
पावन परिणय परिणीत प्रेम, प्रेमामृत अनमोल प्रेम है
पाटल प्रसून पल्लवित प्रणय, जीवन समरस कुशल क्षेम है।
कीर्ति लता धवला प्रसूत यश, प्रेम रति आनंदित पल है
प्रकृति प्रेम अनुरंजित हिय तल, भक्ति लसित ललिता निर्मल है।

प्रथम प्रेम परिणीता प्रियतम, प्रेम पत्र प्रिय प्रेम हृदय है
स्नेहिल प्रेमी प्रेम रोग मन, मिलन प्रिया शुभ अभ्यूदय है।

अद्भुत अविरल प्रेम सरित जल, हृदयंगम शशि भानु वत है
आवाहन अवगाहन साजन, मानसरोवर प्रेम लहर है।

प्रेम अनोखा कसक अनोखी, कशिश हिलोरें अस्ताचल है
देख निशा स्वागत शशि प्रियतम, चन्द्रकला शशि विस्मित पल है।

मिलन प्रेम आकुल दोउ साजन, लगी आग सम युगल हृदय है,
रसनागर रसगागर फागुन, नव बसन्त रसराज उदय है।

प्रेम डोर जीवन पतंग दिल, सतरंगी अरुणाभ उड़न है।
चहके चुलबुल चीं चीं सरगम, प्रेम युगल उन्मुक्त गगन है॥

परिचय-डॉ.राम कुमार झा का साहित्यिक उपनाम ‘निकुंज’ है। १४ जुलाई १९६६ को दरभंगा में जन्मे डॉ. झा का वर्तमान निवास बेंगलुरु (कर्नाटक)में,जबकि स्थाई पता-दिल्ली स्थित एन.सी.आर.(गाज़ियाबाद)है। हिन्दी,संस्कृत,अंग्रेजी,मैथिली,बंगला, नेपाली,असमिया,भोजपुरी एवं डोगरी आदि भाषाओं का ज्ञान रखने वाले श्री झा का संबंध शहर लोनी(गाजि़याबाद उत्तर प्रदेश)से है। शिक्षा एम.ए.(हिन्दी, संस्कृत,इतिहास),बी.एड.,एल.एल.बी., पीएच-डी. और जे.आर.एफ. है। आपका कार्यक्षेत्र-वरिष्ठ अध्यापक (मल्लेश्वरम्,बेंगलूरु) का है। सामाजिक गतिविधि के अंतर्गत आप हिंंदी भाषा के प्रसार-प्रचार में ५० से अधिक राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय साहित्यिक सामाजिक सांस्कृतिक संस्थाओं से जुड़कर सक्रिय हैं। लेखन विधा-मुक्तक,छन्दबद्ध काव्य,कथा,गीत,लेख ,ग़ज़ल और समालोचना है। प्रकाशन में डॉ.झा के खाते में काव्य संग्रह,दोहा मुक्तावली,कराहती संवेदनाएँ(शीघ्र ही)प्रस्तावित हैं,तो संस्कृत में महाभारते अंतर्राष्ट्रीय-सम्बन्धः कूटनीतिश्च(समालोचनात्मक ग्रन्थ) एवं सूक्ति-नवनीतम् भी आने वाली है। विभिन्न अखबारों में भी आपकी रचनाएँ प्रकाशित हैं। विशेष उपलब्धि-साहित्यिक संस्था का व्यवस्थापक सदस्य,मानद कवि से अलंकृत और एक संस्था का पूर्व महासचिव होना है। इनकी लेखनी का उद्देश्य-हिन्दी साहित्य का विशेषकर अहिन्दी भाषा भाषियों में लेखन माध्यम से प्रचार-प्रसार सह सेवा करना है। पसंदीदा हिन्दी लेखक-महाप्राण सूर्यकान्त त्रिपाठी ‘निराला’ है। प्रेरणा पुंज- वैयाकरण झा(सह कवि स्व.पं. शिवशंकर झा)और डॉ.भगवतीचरण मिश्र है। आपकी विशेषज्ञता दोहा लेखन,मुक्तक काव्य और समालोचन सह रंगकर्मी की है। देश और हिन्दी भाषा के प्रति आपके विचार(दोहा)-
स्वभाषा सम्मान बढ़े,देश-भक्ति अभिमान।
जिसने दी है जिंदगी,बढ़ा शान दूँ जान॥ 
ऋण चुका मैं धन्य बनूँ,जो दी भाषा ज्ञान।
हिन्दी मेरी रूह है,जो भारत पहचान॥