कुल पृष्ठ दर्शन : 244

You are currently viewing मन की वेदना हरें

मन की वेदना हरें

अरुण वि.देशपांडे
पुणे(महाराष्ट्र)
***************************************

मित्रों,हम सब खुद को हमेशा ही संवदेनशील मन का व्यक्ति समझते हैं। यह स्वभाव विशेष हमारा दायित्व बढ़ाने वाला है। मन की पीड़ा,अंतर्मन की वेदना किसी के साथ जब हम साझा करते हैं तो मन का बोझ हलका होता है, लेकिन वर्तमान इतना भयंकर हो गया है कि हमारे बीच का संवाद कम हो गया है।
आभासी दुनिया,अंतरजाल की दुनिया सिर्फ रुक्ष तथा भावनाविहीन होती है। यहां भावनाओं का दिखावा यह किसी मायाजाल या भूल-भुलैय्या से कम नहीं है। किसी अपने से समक्ष भेंट,रुबरु मुलाकात सही मायने में मनस्पर्शी होती है। हाथ में हाथ लेकर आस्था भरे शब्दों में हाल पूछना या पीठ पर हाथ से थपथपाना, यह सब मन को एक विश्वास देने वाला स्पर्श होता है।
कोई अपना,अपने साथ है-यह स्पर्श मन की वेदना को,दर्द-पीड़ा को कम करने वाला होता है। मोबाईल पर बातचीत करते समय इमोजी भेजना,मतलब किसी के मन को समझना नहीं होता है। यह तो नए जमाने का दस्तूर है भाई,यह समर्थन भी ठीक है, लेकिन हमें हमारे बीच की दूरियों को कम करना ही होगा। आर्थिक संपन्नता ही हमारा एकमात्र लक्ष्य नहीं होना चाहिए,यह हमारा भावनिक विश्व नष्ट कर देता है।
इसी लिए हमें,अपनों से स्नेह बढ़ाना होगा। अंतर्मन को जान लेना होगा,तभी तो हम किसी के दर्द,मन की वेदना की दवा बन सकेंगे।

परिचय-हिंदी लेखन से जुड़े अरुण वि.देशपांडे मराठी लेखक,कवि,बाल साहित्यकार व समीक्षक के तौर पर जाने जाते हैं। जन्म ८ अगस्त १९५१ का है। आपका निवास पुणे के बावधन (महाराष्ट्र) में है। इनकी साहित्य यात्रा प्रिंट में १९८३ से व अंतरजाल मीडिया में २०११ से सक्रियता से जारी है। श्री देशपांडे की लेखन भाषा-मराठी,हिंदी व इंग्लिश है। आपके खाते में प्रकाशित साहित्य संख्या ७२(प्रकाशित पुस्तक,ई-पुस्तक)है। आपके हिंदी लेख, बालकथा,कविता आदि नियमित रूप से अनेक पत्र-पत्रिका में प्रकाशित होते हैं। सक्रियता के चलते अंतरराष्ट्रीय हिंदी साहित्य प्रतियोगिता में आपके लेख और कविता को ‘सर्वश्रेष्ठ रचना’ से सम्मानित किया गया है तो काव्य लेखन उपक्रम में भी अनेक रचनाओं को ‘सर्वश्रेष्ठ’ सन्मान प्राप्त हुआ है। आप कृष्ण कलम मंच के आजीवन सभासद हैं। हिंदी लेखन में सक्रिय अरुण जी की प्रकाशित पुस्तकों में-दूर क्षितिज तक(२०१६)प्रमुख है। इसके अलावा विश्व साझा काव्य संग्रह में २ हिंदी बाल कविता(२०२१) प्रकाशित है। शीघ्र ही ‘जीवन सरिता मेरी कविता'(१११ कविता,पहला हिंदी काव्य संग्रह)आने वाला है। फेसबुक पर भी कई हिंदी समूह में साहित्य सहभागिता जारी है।

Leave a Reply