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मसूद अज़हर के प्रतिबन्ध पर बड़ी बात करना निरर्थक

डॉ.अरविन्द जैन
भोपाल(मध्यप्रदेश)
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जब किसी मोटी लकड़ी को कुल्हाड़ी से काटा जाता है,तब उसको काटने में मान लो २० घाव लगे और २१वे घाव में कटी तो यह नहीं मानना चाहिए कि २० घाव अकारथ गएl इसी प्रकार मसूद अजहर के सम्बन्ध में जो आज सफलता मिली,उसमें प्रधान सेवक अपनी स्वयं की पीठ थपथपा रहे हैं,यह बहुत हास्यास्पद हैl इस प्रक्रिया में वर्ष २०००,२०१६,२०१७, और मार्च २०१९ में असफलता मिली थी,उस समय प्रधान सेवक क्यों चुप्पी बांधे रहेl
प्रधान सेवक वैसे विदूषक हैं और उनके पास लफ़्फ़ाज़ी के अलावा विशेष कुछ नहीं है,बढ़-चढ़कर बोलना और इस समय चुनाव की गर्मी और मौसम की गर्मी के कारण उनके दिमाग को नवरत्न तेल की जरुरत हैl और जब उन्होंने अपने कार्यकाल में इतनी उपलब्धियां प्राप्त कर ली हैं या थी,तो इतने क्यों परेशां हो रहे हैंl उन्होंने सत्ता की सर्वोच्च संस्थाओं को अपनी गिरफ्त में कर रखा है कि उनके प्रतिकूल कोई भी किसी प्रकार की टिप्पणी नहीं करना चाहताl वर्तमान में चुनाव आयोग उनका गुलाम बना हैl कभी कहेंगे कि कोई उनको मार डालना चाहता हैl एक बात ध्यान देने योग्य है कि नेता की मौत से देश को को हानि नहीं होती हैl कारण कि उनके पीछे बहुत लम्बी कतार होती है,हाँ हानि होती है लेखक व कवि,साहित्यकार,संगीतकार,कलाकार,रंगकर्मी, वैज्ञानिक आदि की,जबकि नेता देश पर भार होते हैं,वे अपराधों के जनक और संरक्षक होते हैंl
अजहर मसूद के प्रतिबन्ध से क्या आतंकवाद समाप्त हो जाएगाl आतंकवाद का कीड़ा दुगनी मात्रा में बढ़ता है जैसे अमीबा होता हैl जब तक उसके सर पर वहां की सरकार का हाथ रहेगा,उसको कोई चिंता नहीं है और वहां की सरकार इनके दम पर चलती हैl इनका नेटवर्क इतना बड़ा होता है कि पाकिस्तान का प्रधानमंत्री या राष्ट्रपति या सेना कब कितनी साँस लेती है,उनको पहले पता चलता हैl वे इतने खूंखार होते हैं कि जब वो हत्या करने या कराने के बाद हाथ नहीं धोते, तब वे इन प्रतिबंधों से कैसे डरेंगे और क्यों डरेंगेl
इनकी मानसिकता खून-खराबा करने की होती है,ये लोग रोज अपनी जान हथेली पर रखकर चलते हैंl वे तो खुद मौत के सौदागर हैं,और उनके लिए किसी को भी मौत के घाट उतारना सामान्य बात हैl इस प्रतिबन्ध के क्या परिणाम होंगे,यह तो समय बताएगाl कारण कि उस पर कार्यवाही करने का दायित्व पाकिस्तान सरकार का है,और वह स्वयं बैसाखी पर चलती है तो कारवाई क्या करेगीl छोटी-छोटी सफलता से कुछ नहीं होने वाला,जमीनी हकीकत में काम होना चाहिएl

परिचय- डॉ.अरविन्द जैन का जन्म १४ मार्च १९५१ को हुआ है। वर्तमान में आप होशंगाबाद रोड भोपाल में रहते हैं। मध्यप्रदेश के राजाओं वाले शहर भोपाल निवासी डॉ.जैन की शिक्षा बीएएमएस(स्वर्ण पदक ) एम.ए.एम.एस. है। कार्य क्षेत्र में आप सेवानिवृत्त उप संचालक(आयुर्वेद)हैं। सामाजिक गतिविधियों में शाकाहार परिषद् के वर्ष १९८५ से संस्थापक हैं। साथ ही एनआईएमए और हिंदी भवन,हिंदी साहित्य अकादमी सहित कई संस्थाओं से जुड़े हुए हैं। आपकी लेखन विधा-उपन्यास, स्तम्भ तथा लेख की है। प्रकाशन में आपके खाते में-आनंद,कही अनकही,चार इमली,चौपाल तथा चतुर्भुज आदि हैं। बतौर पुरस्कार लगभग १२ सम्मान-तुलसी साहित्य अकादमी,श्री अम्बिकाप्रसाद दिव्य,वरिष्ठ साहित्कार,उत्कृष्ट चिकित्सक,पूर्वोत्तर साहित्य अकादमी आदि हैं। आपके लेखन का उद्देश्य-अपनी अभिव्यक्ति द्वारा सामाजिक चेतना लाना और आत्म संतुष्टि है।

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