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महँगाई डायन

अनंत ज्ञान
गिरिडीह (झारखंड)
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महँगाई डायन बिग बाज़ार में,
खरीददारी कर रही है हज़ार मेंl

क्या ठाट-बाट से बाज़ार आई है,
देखो बड़ा-सा पर्स भी साथ लाई हैl

लेकर आई है सूची लंबी-चौड़ी,
देखते बन रही है उसकी भागा-दौड़ीl

कभी इस तल्ले से उस तल्ले पर,
कभी कपड़ों पर,तो कभी श्रृंगार परl

जी भर कर उड़ा रही है पैसे,
ऐशो-आराम भला दिखाएगी कैसे ?

मोल-तोल करने से वो क्यों शर्माए ?
हज़ार की कुर्ती हज़ार में ही लाएl

सेल्समेन भी उससे खुश ही रहते,
मैड़म ये लीजिए,मैडम वो लीजिए कहतेl

सखियों को जब वो कोल्डड्रिंक पिलाती,
सखियाँ फिर तो उसे खू़ब फुलातीl

सच रे! तू शाॅपिंग बड़ी अच्छी करती है,
पैसे खर्च करने से बिल्कुल भी नहीं डरती हैl

तब गर्व से और भी,वो हो जाती चौड़ी,
बिल काउंटर पर अपना एक रूपया भी छोड़ीl

खुल्ला नहीं रहने के कारण मिल रही थी चाॅकलेट,
पर,मैडम के तो घर भी हो रहा था लेटl

सेल्समेन से बोली-ओह प्लीज़ लीव इट ना…!
एक रूपए में भला क्या होना….?

महँगाई डायन अब घर लौटने वाली है,
होंठों पर मल रही फिर से एक बार लाली हैl

रिक्शेवाले का कर रही है इंतज़ार,
दो रिक्शेवालों को लौटा चुकी है सरकारl

क्योंकि,अब जाकर महँगाई उसे नज़र आई है,
उन दो रिक्शेवालों को भाड़ा ज्यादा कहकर लौटाई हैl

लड़कर-झगड़कर,रिक्शा पर वो चढ़कर,
अपने बंगले तक वो आ चुकी हैl

एक रूपया रिक्शावाला के भाड़े में से काटकर,
भगा रही है महँगाई डायन अब उसे डांटकरll

परिचय-अनंत ज्ञान की जन्मतिथि-८ अगस्त १९८९ तथा जन्म स्थान-गिरिडीह (झारखंड) हैl आप गिरिडीह स्थित बरगंड़ा में बसे हुए हैं,और स्थाई निवास भी यही हैl एम.एस-सी.(गणित), बी.एड. तक शिक्षित हैं तथा कार्यक्षेत्र-नौकरी(व्यवहार न्यायालय में सहायक, हज़ारीबाग-झारखंड) हैl सामाजिक गतिविधि के अंतर्गत अनंत ज्ञान हजारीबाग में साहित्यिक संस्था में पदाधिकारी के रूप में निरंतर साहित्य सेवा में सक्रिय हैंl इनकी लेखन विधा-कविता(तुकांत व अतुकांत) हैl रचना प्रकाशन कई पत्र-पत्रिकाओं में हो चुका हैl इनकी विशेषज्ञता आशु कवि के रूप में है। साहित्य पुष्प सम्मान और सारस्वत सम्मान इन्हें मिले हैं। इनकी विशेष उपलब्धि-राज्य में काव्य प्रतियोगिता में प्रथम स्थान पाने पर राज्यपाल द्वारा पुरस्कृत और आकाशवाणी हजारीबाग से कई कहानियों व कविताओं का प्रसारण होना है। आपकी लेखनी का उद्देश्य-सामाजिक जागरूकता फैलाना है। जीवन में प्रेरणापुंज स्वामी विवेकानंद जी हैं।

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