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माँ बिन कौन सुनेगा टेर !

कवि योगेन्द्र पांडेय
देवरिया (उत्तरप्रदेश)
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माँ बिन…!

तेरे आँचल के छाँव तले,
सुख मिले तुम्हारे पाँव तले
माँ की ममता से पुलकित हो,
अंधकार हो जाए ढेर।
माँ बिन कौन सुनेगा टेर…॥

तुम कभी राम को जन्म दिए,
धरती का हल्का बोझ किए
निज पुत्रों की पीड़ा हरने में,
करती नहीं कभी तुम देर।
माँ बिन कौन सुनेगा टेर…॥

तेरी चरणों में शीश धरूँ,
ममता से रिक्त ये कोष भरूँ
जब तक तेरा आशीष मिले न,
जीवन की होती नहीं सबेर।
माँ बिन कौन सुनेगा टेर…॥

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