कुल पृष्ठ दर्शन : 105

मातृभाषा का प्रयोग ही राष्ट्रीयता-महामंडलेश्वर नरसिंहदासजी

देश के २१ साहित्यकारों को अतिथियों ने किया अभिनंदन-पत्र से सम्मानित
मांडवगढ़(धार)।

राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना सम्पूर्ण देश में मातृभाषा, राजभाषा एवं राष्ट्रभाषा के प्रचार-प्रसार में महत्वपूर्ण कार्य कर रही है। आप सभी को बधाई एवं शुभकामनाएं। हम मातृभाषा का प्रयोग करके राष्ट्रीयता का अलख जगायेंगे। मातृभाषा का प्रयोग ही राष्ट्रीयता है।
यह उदबोधन राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना के दो दिवसीय समारोह के समापन सत्र के मुख्य अतिथि माण्डू श्रीराम मंदिर के महंत महामंडलेश्वर 1008 श्री नरसिंहदासजी ने दिया। आप साहित्यकार-शिक्षकों को अभिनंदन-पत्र वितरण में श्री जैन श्वेतांबर तीर्थ पेढ़ी ट्रस्ट पर अतिथि के रूप में उपस्थित हुए। इस समारोह का शुभारम्भ ९ नवम्बर की रात्रि ९ बजे संचेतना काव्य समारोह के मुख्य अतिथि यशवंत भण्डारी ‘यश‘ (झाबुआ),विशेष अतिथि शरद जोशी ‘शलभ'(धार),डाॅ. शैलेन्द्रकुमार शर्मा(उज्जैन) रहे। अध्यक्षता डाॅ. प्रभु चौधरी(अध्यक्ष, राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना) ने की। स्वागत भाषण समिति संयोजक विनोद वर्मा (अध्यक्ष,संभाग इंदौर) ने एवं अतिथि परिचय श्रीराम शर्मा ‘परिन्दा'(जिला महासचिव-धार)ने दिया। कवि सर्वश्री हरचरणसिंह चावला (नागदा) ने सरस्वती वंदना प्रस्तुत की। वीर रस की युवा कवियित्री सुश्री प्रतिमासिंह,हास्य कवि श्रीराम शर्मा ‘परिन्दा’, डाॅ. सुवर्णा जाधव(मुम्बई),संगीता पाल (कच्छ),डाॅ. शैलेन्द्र शर्मा,अशोक गौर (नागदा),डाॅ. लता चौहान (बैंगलोर),राजेन्द्र कांठेड़(नागदा),श्रीमती अमृता अवस्थी (इंदौर),विनोद वर्मा ‘आजाद’ (देपालपुर) आदि ने सुमधुर काव्य पाठ किया। संचालन सरस कवि सुंदरलाल जोशी ‘सूरज‘ ने माना। आभार सचिव डाॅ. संगीता पाल ने व्यक्त किया।


द्वितीय दिवस १० नवम्बर को प्रातः ९.३९ बजे संचेतना अधिवेशन बैठक की अध्यक्षता डाॅ. जाधव (कार्यकारी अध्यक्ष-राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना) ने की। मुख्य अतिथि एवं संरक्षक श्री भंडारी एवं विशेष अतिथि डाॅ. हरिसिंह पाल (नई दिल्ली)थे। संस्था के जन्म से 18 वर्ष पूर्ण होने तक की यात्रा में सविस्तार उपलब्धियों की जानकारी संस्थापक डाॅ. चौधरी ने दी। आपने राष्ट्रीय,प्रदेश एवं जिला स्तर तक विस्तार,त्रैमासिक कार्यक्रमों, स्मारिका-पुस्तक प्रकाशन आदि पर विस्तार से बताया। संस्था प्रतिवेदन महासचिव अमृता अवस्थी ने प्रस्तुत किया। संचेतना के उपाध्यक्ष सुंदरलाल जोशी ‘सूरज‘ ने बताया कि,तृतीय सत्र नागरी लिपि परिषद् (नई दिल्ली) के सहयोग से राष्ट्रीय नागरी लिपि शोध संगोष्ठी ‘महात्मा गांधी और देवनागरी लिपि’ विषय पर आयोजित की गई। इसके मुख्य अतिथि वरिष्ठ कर सलाहकार सुरेश चन्द्र भण्डारी(धार), विशेष अतिथि डाॅ. पाल(महामंत्री नागरी लिपि परिषद,नई दिल्ली) मुख्य वक्ता शहाबुद्दीन शेख(वरिष्ठ उपाध्यक्ष नागरी लिपि परिषद,पुणे) रहे। अध्यक्षता डाॅ. शर्मा(अध्यक्ष-हिन्दी अध्ययनशाला विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन)ने की। संगोष्ठी की प्रस्तावना डाॅ. चौधरी (संयोजक-नागरी लिपि परिषद मध्यप्रदेश) ने प्रस्तुत की।
इस अवसर पर डाॅ. शेख ने कहा कि अपनी देवनागरी लिपि का प्रयोग करके राष्ट्रीय एकता एवं अखण्डता का मजबूती दे सकते हैं। डाॅ. पाल ने बताया कि देवनागरी लिपि हमारी संस्कृति की प्रेरक है। गांधीजी का प्रयास था कि देश की एक भाषा और एक ही लिपि हो। डाॅ. शर्मा ने कहा कि माण्डवगढ़ की समृद्धता की प्रशंसा विदेशियों ने भी की है। देश को एक करना हो तो भाषा और लिपि एक हो। संचालन अमृता अवस्थी ने किया। आभार डाॅ. चौधरी ने माना।
समापन समारोह के अतिथि महामंडलेश्वर का शाल श्रीफल एवं अंगवस्त्र से संरक्षक श्री भण्डारी,डाॅ. शर्मा,डॉ. पाल ने किया। डाॅ. चौधरी ने भी समस्त अतिथियो का स्वागत किया। अध्यक्षता विनोद वर्मा ने की। यहां देश के २१ साहित्यकारों को अतिथियों ने शाल,श्रीफल एवं अभिनंदन-पत्र से ‘विशिष्ट सेवा सम्मान’ प्रदान किया। सम्मानितों में सर्वश्री हरचरणसिंह चावला,डाॅ. संगीता पाल, श्रीमती दिव्या मेहरा,राजेश नागर और भगवानदास गरोठिया आदि रहे। समारोह को विशेष अतिथि सुभाषचन्द्र जैन (कोषाध्यक्ष) एवं घेवरचंद जैन (वरिष्ठ ट्रस्टी श्री जैन श्वेताम्बर तीर्थ पेढ़ी ट्रस्ट,मांडवगढ़) ने भी संबोधित किया। संचालन कवि शरद जोशी ने किया आभार श्री भण्डारी ने माना।

Leave a Reply