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चलो मुस्काएं

अजय जैन ‘विकल्प’
इंदौर(मध्यप्रदेश)
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चलो मुस्काएं
जग में गम बड़ा
उसे मिटाएं।

पीड़ा हर लें
क्या होगा यूँ फिक्र से?
थोड़ा तो जी लें।

मुस्कान बड़ी
गम बाँटा तो आई
सुख की घड़ी।

हँसी है फूल
ईश्वरीय सौगात ये
चिंता को भूल।

है उपहार
न भूलो मुस्कुराना
इसमें प्यार।

रोज हँसना
आसान होगा जीना
न कर फिक्र।

मिलेगी शांति
जब सब देखेंगे
मुख पे कांति।

ईश्वर है ना
चिंता क्यों करता तू
बस हँस ना।

घाव भरती
है मन का आराम
स्वत: ही आती।

बड़े हुए तो
हँसना भूल गए
घटाई खुशी।

मुस्कान तेरी
सफलता की चाबी
मुस्कुरा जरा॥