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मानसिकता

डॉ.मधु आंधीवाल
अलीगढ़(उत्तर प्रदेश)
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सासू माँ सुबह से हल्ला मचा रही थी,-सब जल्दी नहा लो। आज नवदुर्गे व्रत का समापन है। आज हवन करने के बाद कन्या लांगुरा को खाना खिलाते हैं। उसके बाद ही घर के सब सदस्य भोजन करते हैं।
सब जल्दी जल्दी तैयार होकर हवन बेदी पर बैठ गए। हवन समाप्ति के बाद कन्या लागुंरा को बुलाने किसी को भेजा,पर ये क्या ? पूरे मोहल्ले में कन्या ढूंढे से नहीं मिल रही थी। बहुत मुश्किल से २ कन्या मिली,लांगुरा संख्या में बहुत अधिक थे। सासू माँ का पारा हाई हो गया। वह काम वाली पर चिल्लाने लगी कि व्रत का लाभ भी ना मिलेगा। ९ कन्या तो कम से कम हो जाए। काम वाली बोली,-दीदी कहां से लाऊं,जब मोहल्ले में कन्या है ही नहीं।
माधवी सोच रही थी,काश! अब भी सासू माँ को कुछ समझ आ जाए। इन्हीं सासू माँ ने जाह्नवी होने के बाद उसका २ बार गर्भपात करा दिया कि उन्हें पोती नहीं,पोता चाहिए। इनकी ही तरह पता नहीं,कितनी सास ने ये कदम उठाए होगें। आज कन्या भोजन के लिए इन्हें कन्या उपलब्ध नहीं है। काश! कोई इन जैसी मानसिकता वाली महिलाओं को समझा पाता…।

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