कुल पृष्ठ दर्शन : 205

You are currently viewing ‘माॅं’ रूप में भगवान

‘माॅं’ रूप में भगवान

हीरा सिंह चाहिल ‘बिल्ले’
बिलासपुर (छत्तीसगढ़)
*********************************************

जिस मन में,
सम्मान हो इंसान का
वह मन इक,
रूप है भगवान का।

भगवान तो निरंकार हैं,
किसने देखा उनको
बस वे ही हर पल,
देखते रहते सबको।

सब कहते हैं,
‘माॅं’ रूप में भगवान हैं
क्योंकि इस जगत में,
‘माॅं’ ही भगवान-सी गुणवान है।

‘माॅं’ जन्म देती,
जग में हर इंसान को
जो ‘माॅंं’ के गुण समझ लेते,
वो देख लेते भगवान को।

बात है नामुमकिन सी,
होती इसमें ही मुश्किल भी
त्याग, लगन, प्यार, श्रृद्धा,
सबमें रहा करती लेकिन
रखता ममता का दिल ही।

जिसको ‘माॅं’ की पहचान नहीं,
वो क्या जाने भगवान को।
प्रभु दर्शन देते रहते पर,
इंसान नहीं पहचानता॥

परिचय–हीरा सिंह चाहिल का उपनाम ‘बिल्ले’ है। जन्म तारीख-१५ फरवरी १९५५ तथा जन्म स्थान-कोतमा जिला- शहडोल (वर्तमान-अनूपपुर म.प्र.)है। वर्तमान एवं स्थाई पता तिफरा,बिलासपुर (छत्तीसगढ़)है। हिन्दी,अँग्रेजी,पंजाबी और बंगाली भाषा का ज्ञान रखने वाले श्री चाहिल की शिक्षा-हायर सेकंडरी और विद्युत में डिप्लोमा है। आपका कार्यक्षेत्र- छत्तीसगढ़ और म.प्र. है। सामाजिक गतिविधि में व्यावहारिक मेल-जोल को प्रमुखता देने वाले बिल्ले की लेखन विधा-गीत,ग़ज़ल और लेख होने के साथ ही अभ्यासरत हैं। लिखने का उद्देश्य-रुचि है। पसंदीदा हिन्दी लेखक-कवि नीरज हैं। प्रेरणापुंज-धर्मपत्नी श्रीमती शोभा चाहिल हैं। इनकी विशेषज्ञता-खेलकूद (फुटबॉल,वालीबाल,लान टेनिस)में है।

Leave a Reply