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मुझे जिंदा रहने दो…

इलाश्री जायसवाल
नोएडा(उत्तरप्रदेश)

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‘अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस’ स्पर्धा विशेष…………………


कुछ अनकही कहने दो,
सपनों को बुनने दो…
मेरी आवाज़ को जिंदा रहने दो।

बहुत उठाए जिम्मेदारियों के बोझ,
साँझ-सवेरे हर रोज़…
पर कुछ हकों को जिंदा रहने दो।

थक के गहरी नींद आ गई,
कभी चिंताओं से नींद उड़ गई…
पर खुली आँखों का सपना जिंदा रहने दो।

कभी पेट भर के खाया,
कभी मन मार के खाया…
पर मन का स्वाद जिंदा रहने दो।

साँसें आतीं-जातीं रहीं,
जिंदगी अपनी धुन में चलती रही…
पर जिंदगी की जिंदगी जिंदा रहने दो।

ढल गई उम्र मेरी ए कुछ सालों में,
सफेदी चमकने लगी बालों में…
पर बालों की खुशबू को जिंदा रहने दो।

जब तक मेरे दिल में उम्मीद है,
रगों में हौंसला है…
तब तक हँसने की उम्मीद जिंदा रहने दो।

मुझे जिंदा रहने दो…,
मुझे जिंदा रहने दो…॥

परिचय-इलाश्री जायसवाल का जन्म १९७८ में २५ जून को हुआ हैl अमरोहा में जन्मीं हैंl वर्तमान में नोएडा स्थित सेक्टर-६२ में निवासरत हैंl उत्तर प्रदेश से सम्बन्ध रखने वाली इलाश्री जायसवाल की शिक्षा-एम.ए.(हिंदी-स्वर्ण पदक प्राप्त) एवं बी.एड. हैl आपका कार्यक्षेत्र-हिंदी अध्यापन हैl लेखन विधा-कविता,कहानी,लेख तथा मुक्तक आदि हैl इनकी रचनाओं का प्रकाशन विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं तथा पोर्टल पर भी हुआ हैl आपको राष्ट्रीय हिंदी निबंध लेखन प्रतियोगिता में प्रथम पुरस्कार व काव्य रंगोली मातृत्व ममता सम्मान मिला हैl इनकी लेखनी का उद्देश्य-हिंदी-साहित्य सेवा हैl इनके लिए जीवन में प्रेरणा पुंज-माता तथा पिता डॉ.कामता कमलेश(हिंदी प्राध्यापक एवं साहित्यकार)हैंl

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