सुश्री नमिता दुबे
इंदौर(मध्यप्रदेश)
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वंश चलाने की लालसा ने,
मुझको ही दासता में जकड़ा।
चूल्हे-चौके में उलझी मैं,
सदा किया नर को बलवान।
मैं भी जीना चाहती थी,
भाई संग स्कूल भी जाना चाहती थी।
बहुत सहा है अब ना सहूंगी,
तोड़ दूंगी बेड़ियाँ बेटियों की।
दिलाऊँगी उनको अपनी पहचान,
मिला नहीं जिसे कभी सम्मान।
मैं नारी हूँ खुद शक्ति बन,
रजिया,अहिल्या,सावित्री बनाऊँगी।
अब तक देखी है मैंने कई रूपों में नारी,
जो है नर के हर रूप पर भारी।
बहुत सम्हाला है मैंने अपने नन्हें कंधों पर,
परिवार,समाज,देश का यह भार।
अन्धविश्वासों और कुरीतियों का दामन थाम,
कभी न निकली मैं घर के बाहर आम।
आज मैं अपनी बेटियों को बताऊँगी,
सावित्री फुले बन इतिहास रचाऊँगी।
अज्ञानी मन में ज्ञान की अलख जगा दे,
वस्तु की सही उपयोगिता समझा दे
नामुमकिन को मुमकिन बना दे।
बुझी आस में विश्वास जगा दे,
असभ्य को सभ्यता का पाठ पढ़ा दे।
पशुता और इंसानियत में अंतर सिखा दे,
दुर्गम मार्ग को सरल बना दे।
ऐसी शिक्षा देकर मैं अपनी हर बेटी से,
समाज को दूंगी मजबूत आधार।
वही अन्धकार को दूर कर,
ज्ञान का प्रकाश फैलाएगी
कई नई सावित्री बन,
बुझी हुई आस में विश्वास जगाएगी।
जिस समाज में हो शिक्षित नारी,
सफलता समृद्धि खुद बने उसकी पुजारी॥
परिचय : सुश्री नमिता दुबे का जन्म ग्वालियर में ९ जून १९६६ को हुआ। आप एम.फिल.(भूगोल) तथा बी.एड. करने के बाद १९९० से वर्तमान तक शिक्षण कार्य में संलग्न हैं। आपका सपना सिविल सेवा में जाना था,इसलिए बेमन से शिक्षक पद ग्रहण किया,किन्तु इस क्षेत्र में आने पर साधनहीन विद्यार्थियों को सही शिक्षा और उचित मार्गदर्शन देकर जो ख़ुशी तथा मानसिक संतुष्टि मिली,उसने जीवन के मायने ही बदल दिए। सुश्री दुबे का निवास इंदौर में केसरबाग मार्ग पर है। आप कई वर्ष से निशक्त और बालिका शिक्षा पर कार्य कर रही हैं। वर्तमान में भी आप बस्ती की गरीब महिलाओं को शिक्षित करने एवं स्वच्छ और ससम्मान जीवन जीने के लिए प्रोत्साहित कर रही हैं। २०१६ में आपको ज्ञान प्रेम एजुकेशन एन्ड सोशल डेवलपमेंट सोसायटी द्वारा `नई शिक्षा नीति-एक पहल-कुशल एवं कौशल भारत की ओर` विषय पर दिए गए श्रेष्ठ सुझावों हेतु मध्यप्रदेश के उच्च शिक्षा और कौशल मंत्री दीपक जोशी द्वारा सम्मानित किया गया है। इसके अलावा श्रेष्ठ शिक्षण हेतु रोटरी क्लब,नगर निगम एवं शासकीय अधिकारी-कर्मचारी संगठन द्वारा भी पुरस्कृत किया गया है। लेखन की बात की जाए तो शौकिया लेखन तो काफी समय से कर रही थीं,पर कुछ समय से अखबारों-पत्रिकाओं में भी लेख-कविताएं निरंतर प्रकाशित हो रही है। आपको सितम्बर २०१७ में श्रेष्ठ लेखन हेतु दैनिक अखबार द्वारा राज्य स्तरीय सम्मान से नवाजा गया है। आपकी नजर में लेखन का उदेश्य मन के भावों को सब तक पहुंचाकर सामाजिक चेतना लाना और हिंदी भाषा को फैलाना है।