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मेरी दृष्टि में कबीर:सीधे चोट की भ्रांतियों पर

नमिता घोष
बिलासपुर (छत्तीसगढ़)
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‘कबीर मन निर्मल भया,ज्यो गंगा की नीर।
पीछे पीछे हरि फिरै,कहत कबीर कबीर।”
कबीर दास जी ने अपने दोहों के माध्यम से समाज में व्याप्त भ्रान्तियों,अंध विश्वासों,कुरीतियों पर सीधे चोट की। उन्होंने ब्राह्मणवाद पाखंडी एवं कर्मकांड की आलोचना की,वहीं मूर्ति पूजा पर भी उन्होंने कटाक्ष किया,जिसे उक्त दोहे के माध्यम से लिखा गया-
‘पत्थर पूजे तो हरि मिले तो मैं पूजूं पहाड़।
घर की चक्की कोई ना पूजे जागो पीस खाए संसार॥’
अर्थात-अगर पत्थर के देवी-देवताओं के पूजन से देवी-देवताओं की प्राप्ति होती है,तो क्यों ना मैं पहाड़ को पूजूं।
वे और भी लिखते हैं-
‘माटी का एक नग बनाकर पूजे लोग लुगाई।
जिंदा नाग जब घर में निकले ले लाठी धमकाय॥’
इस दोहरे मापदंड एवं भ्रांत धारणाओं पर कबीर के कटाक्ष सीधा वार करते हैं। जो बुद्ध के विचार हैं,वही करीब कबीर के भी हैं। आप कभी टीका लगाने वाले संत नहीं,बल्कि समतावादी मानवतावादी निर्गुण धारा के प्रणेता रहे। वे लिखते हैं-
‘जाति-जाति न पूछो साधु की,पूछ लीजिए ज्ञान।
मोल करो तलवार का पड़ा रहने दो म्यान॥’
समकालीन परिस्थितियों में देश समाज जाति प्रथा की जटिल परिस्थितियों से गुजर रहा था,तब उनकी कलम ने दोहे के माध्यम से लिखा-
‘कबीर कुआं एक है पानी भरे अनेक।
बर्तन में ही भेद है पानी सबमें एक॥’
कबीर ही ऐसे कवि समाज सुधारक रहे,जिन्होंने जाति विभाजन से उपजे संकीर्ण एवं वैमनस्यता सहित आपसी अहं के टकराव को रोकने के साथ सामाजिक एकता को प्रतिष्ठित करने की कोशिश की। कबीर की निम्न पंक्तियों द्वारा लेखनी को विराम दूंगी,-
‘मोको कहां ढूंढे रे बंदे।
मैं तो तेरे पास में॥
ना मैं तीरथ में ना मैं मूरत में ना एकांत निवास में।
ना मंदिर में ना मस्जिद में ना काबे ना कैलाश में॥
ना जप मैं ना तप में,न बरत में न उपवास में।
ना मैं क्रिया कर्म में ना जोग सन्यास में॥
खोजी हो तो तुरंत मिल जाऊं एक पल के तलाश में।
कहत कबीर सुनो भाई साधु मैं तो तेरे पास में॥
मैं तो तेरे पास में…।’

परिचय-नमिता घोष की शैक्षणिक योग्यता एम.ए.(अर्थशास्त्र),विशारद (संस्कृत)व बी.एड. है। २५ अगस्त को संसार में आई श्रीमती घोष की उपलब्धि सुदीर्घ समय से शिक्षकीय कार्य(शिक्षा विभाग)के साथ सामाजिक दायित्वों एवं लेखन कार्य में अपने को नियोजित करना है। इनकी कविताएं-लेख सतत प्रकाशित होते रहते हैं। बंगला,हिन्दी एवं अंग्रेजी भाषा में भी प्रकाशित काव्य संकलन (आकाश मेरा लक्ष्य घर मेरा सत्य)काफी प्रशंसित रहे हैं। इसके लिए आपको विशेष सम्मान से सम्मानित किया गया,जबकि उल्लेखनीय सम्मान अकादमी अवार्ड (पश्चिम बंगाल),छत्तीसगढ़ बंगला अकादमी, मध्यप्रदेश बंगला अकादमी एवं अखिल भारतीय नाट्य उतसव में श्रेष्ठ अभिनय के लिए है। काव्य लेखन पर अनेक बार श्रेष्ठ सम्मान मिला है। कई सामाजिक साहित्यिक एवं संस्था के महत्वपूर्ण पद पर कार्यरत नमिता घोष ‘राष्ट्र प्रेरणा अवार्ड- २०२०’ से भी विभूषित हुई हैं।

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