मेरी दृष्टि में कबीर:सीधे चोट की भ्रांतियों पर

नमिता घोषबिलासपुर (छत्तीसगढ़)**************************************** 'कबीर मन निर्मल भया,ज्यो गंगा की नीर।पीछे पीछे हरि फिरै,कहत कबीर कबीर।"कबीर दास जी ने अपने दोहों के माध्यम से समाज में व्याप्त भ्रान्तियों,अंध विश्वासों,कुरीतियों पर सीधे…

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प्रेम

नमिता घोषबिलासपुर (छत्तीसगढ़)**************************************** विश्व सौहार्द दिवस स्पर्धा विशेष…. प्रेम क्या है ? महज एक रिश्ता स्त्री पुरुष का या व्यापक अर्थों में एक जीव का दूसरे जीव से। एक स्वाभाविक…

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मैं धीरज की धरती हूँ

नमिता घोषबिलासपुर (छत्तीसगढ़)**************************************** महिला दिवस स्पर्धा विशेष…… मैं धीरज की धरती हूँ,लाख-लाख लाल अंकुरों की माता हूँमैं आकाश से उतरे हजार-हजार,सुर्ख पक्षियों की कोख हूँ। 'तुम केन्द्र,मैं धुरी हूँ',मैं वे…

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उत्सव मकर संक्रांति

नमिता घोषबिलासपुर (छत्तीसगढ़)**************************************** मकर सक्रांति स्पर्द्धा विशेष…. फर-फर उड़े रंगीली पतंगउल्टी हवा की दिशा से,बदले सूरज अपना मार्गआज मकर संक्रांति की सुबह से। इंसानों में आई है उत्सव की उमंगप्रेम,श्रद्धा-भक्ति…

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मुक्ति

नमिता घोषबिलासपुर (छत्तीसगढ़)**************************************** यहीं कहीं इसी विद्यालय के आँगन में,बच्चों के भविष्य के स्वप्नों मेंजीवन के प्रांगण में छिपी हुई है मेरी मुक्ति,युक्ति कर ढूँढूंगीl यहीं कहीं बच्चों के निरन्तर…

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