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मेरी पहचान हिंदी

तारा प्रजापत ‘प्रीत’
रातानाड़ा(राजस्थान) 
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हिंदी दिवस विशेष…..


हिन्द देश के
हम हैं वासी,
हिंदी हमारी
भाषा है।
नाम हो इसका
विश्व पटल पर,
ये हमारी
अभिलाषा है॥
क़ीमत समझो
स्वदेशी की,
विदेशी का
तिरस्कार करो।
बोल-चाल में
केवल हिंदी,
हिंदी पर
उपकार करो
सिर्फ क़ानून
की क़िताब में नहीं,
व्यवहार में
इसे लाना है।
क़दर करो
हिंदी की,
जो मातृ-भाषा
इसे माना है॥
हिंदी में ही हो
हमारे सब,
सरकारी काम।
न हो हम अब
किसी और,
भाषा के ग़ुलाम॥
विडम्बना देखो
हम हिंदी भी,
अंग्रेज़ी में लिखते हैं।
है भारतीय पर
जानबूझ कर,
अंग्रेजों से दिखते हैं॥
मैं गुजराती
तू बंगाली,
ये पंजाबी
वो मद्रासी।
अपना-अपना
राग अलापे,
कहाँ गया
वो हिंदी भाषी ?
हिंदी की बिंदी
भारत-माता के,
ललाट पर
हमें लगानी है।
हर भारतीय के
हृदय में,
हिंदी के प्रति
प्रीत जगानी है॥
हिंदी हमारी
मातृ-भाषा है।
ये बात हमें,
इस दुनिया को
समझानी है॥

परिचय– श्रीमती तारा प्रजापत का उपनाम ‘प्रीत’ है।आपका नाता राज्य राजस्थान के जोधपुर स्थित रातानाड़ा स्थित गायत्री विहार से है। जन्मतिथि १ जून १९५७ और जन्म स्थान-बीकानेर (राज.) ही है। स्नातक(बी.ए.) तक शिक्षित प्रीत का कार्यक्षेत्र-गृहस्थी है। कई पत्रिकाओं और दो पुस्तकों में भी आपकी रचनाएँ प्रकाशित हुई हैं,तो अन्य माध्यमों में भी प्रसारित हैं। आपके लेखन का उद्देश्य पसंद का आम करना है। लेखन विधा में कविता,हाइकु,मुक्तक,ग़ज़ल रचती हैं। आपकी विशेष उपलब्धि-आकाशवाणी पर कविताओं का प्रसारण होना है।

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