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मैं और मेरी शबनम

अरुण वि.देशपांडे
पुणे(महाराष्ट्र)
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देखो मित्रों यह तस्वीर प्यारी,
दिखाई दे रही है जोड़ी नूरानी
मैं और शबनम प्यारी,
सुनाई है मैंने हमारी प्रेम-कहानी।

पहली बार मिले साल १९७३ में,
सफर के पचास साल २०२३ में
आदत इतनी है कि, लगता है,
हम एक-दूजे बिना अधूरे हैं।

‘साया’ बन देती है साथ मेरा,
कभी ना छोड़ें यह हाथ मेरा
घर, बाहर, सफर होती है साथ,
शबनम और मैं चले साथ-साथ।

बैंक में जब, मेरी ड्यूटी चलती थी,
यह कोने में चुपचाप बैठे रहती थी
स्टॉफ, कस्टमर, दोस्त मेरे जो आते,
सबको यह पहचानती थी।

घर से जब मैं बाहर निकलता था,
‘शबनम’ को लेना कभी ना भूलता था
हो जाती गलती कभी-कभार तो,
‘शबनम नहीं ?’ हर कोई पूछता था।

साहित्य गोष्ठी, काव्य, परिचर्चा,
नए-नए मंच मेरा आना-जाना
स्नेहीजनों से मिलते-मिलते अब,
सबका शबनम से हुआ दोस्ताना।

बात आखिर बता देता हूँ क्लियर,
शादी हो गए वर्ष पैंतालीस से उपर।
बीबी-साहिबा अब मान चुकी है,
शबनम (झोला) उनकी भी है सीनियर॥

परिचय-हिंदी लेखन से जुड़े अरुण वि.देशपांडे मराठी लेखक,कवि,बाल साहित्यकार व समीक्षक के तौर पर जाने जाते हैं। जन्म ८ अगस्त १९५१ का है। आपका निवास पुणे के बावधन (महाराष्ट्र) में है। इनकी साहित्य यात्रा प्रिंट में १९८३ से व अंतरजाल मीडिया में २०११ से सक्रियता से जारी है। श्री देशपांडे की लेखन भाषा-मराठी,हिंदी व इंग्लिश है। आपके खाते में प्रकाशित साहित्य संख्या ७२(प्रकाशित पुस्तक,ई-पुस्तक)है। आपके हिंदी लेख, बालकथा,कविता आदि नियमित रूप से अनेक पत्र-पत्रिका में प्रकाशित होते हैं। सक्रियता के चलते अंतरराष्ट्रीय हिंदी साहित्य प्रतियोगिता में आपके लेख और कविता को ‘सर्वश्रेष्ठ रचना’ से सम्मानित किया गया है तो काव्य लेखन उपक्रम में भी अनेक रचनाओं को ‘सर्वश्रेष्ठ’ सन्मान प्राप्त हुआ है। आप कृष्ण कलम मंच के आजीवन सभासद हैं। हिंदी लेखन में सक्रिय अरुण जी की प्रकाशित पुस्तकों में-दूर क्षितिज तक(२०१६)प्रमुख है। इसके अलावा विश्व साझा काव्य संग्रह में २ हिंदी बाल कविता(२०२१) प्रकाशित है। शीघ्र ही ‘जीवन सरिता मेरी कविता'(१११ कविता