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मोल एक ‘मत’ का…

डॉ. बालकृष्ण महाजन
नागपुर ( महाराष्ट्र)
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एक वोट का मोल,
तुम क्या जानो!
मक्खन बाबू।
अगर काबू में,
रहे तो लाभ
वर्ना,
बेकाबू हो तो हानि।
यानी,
एक वोट से चुनाव
जीता या हारा भी,
जा सकता है।
इसलिए-
एक वोट का मोल जानना चाहिए।
एक वोट से,
महत्वपूर्ण प्रस्ताव
पारित भी किया जा सकता है,
और
अस्वीकार भी,
किया जा सकता है।
पाँच साल में,
जब हमें एक वोट का सुअवसर,
प्राप्त होता है तो
उसे नहीं गंवाना चाहिए।
क्योंकि, आपके एक वोट के पीछे
कितनी बड़ी सरकारी यंत्रणा,
लगी रहती है।
इसलिए वोट,
डालना हमारी
नैतिक जिम्मेदारी है।
अब जाने,
एक वोट का मोल
मक्खन बाबू॥

परिचय- नागपुर (महाराष्ट्र) निवासी डॉ. बालकृष्ण रामभाऊ महाजन की जन्म तारीख १० अक्टूबर १९६१ और जन्म स्थान नागपुर है। आप वर्तमान में नागपुर स्थित सुरेंद्र नगर में स्थाई तौर पर निवासरत हैं। एम.ए. (मराठी, हिंदी, अर्थशास्त्र), एम.फिल. (हिन्दी), पीएच-डी. (हिन्दी) शिक्षित और साहित्य रत्न प्राप्त डॉ. महाजन का कार्य क्षेत्र मध्य रेलवे (नागपुर से सेवानिवृत्त) रहा है। इनकी सामाजिक गतिविधियाँ लेखन (गीत, ग़ज़ल, लेख, व्यंग्य कविता, कहानी, नुक्कड़ नाटक आदि) है तो १० पुस्तक प्रकाशित हो चुकी हैं। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में आपकी रचनाएँ लगातार प्रकाशित हैं। प्राप्त सम्मान पुरस्कार के नाते वर्ष २०१८ में हिन्दी साहित्य अकादमी
(महाराष्ट्र) से नुक्कड़ नाटक ‘आओ मिलकर भारत जोड़ें’ को २५ हजार ₹ एवं सम्मान, २०२३ में ‘आओ अपना देश संवारें’ नुक्कड़ नाटक को अकादमी (महाराष्ट्र) द्वारा स्वर्ण पदक, ३५ हजार ₹ एवं सम्मान, २०२३ में साहित्य गंगा अकादमी (जलगांव) और २०२४ में युगधारा फाउंडेशन (उप्र) से व्यंग्य कहानी संग्रह ‘आप मेरे सब कुछ’ को ११०० ₹ व सम्मान मिला है। विशेष उपलब्धि १२२ बार रक्तदान करना है। नाटक लेखन में प्रवीण डॉ. महाजन ने यू-ट्यूब पर ६० लघु नाटिकाओं का लेखन, निर्देशन और अभिनय भी किया है। इनकी लेखनी का उद्देश्य सम-सामयिक विषयों पर समाज में जनजागरण का प्रयास करना है। पसंदीदा हिन्दी लेखक प्रेमचंद को मानने वाले डॉ. महाजन का लक्ष्य साहित्य अकादमी (दिल्ली) एवं ज्ञान पीठ पुरस्कार पाना है। देश और हिंदी भाषा के प्रति विचार- ‘विश्व भाषा के रूप में हिंदी को प्रथम स्थान मिले, यही कामना है।’