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ये कैसा, किसका विकास…!

तारा प्रजापत ‘प्रीत’
रातानाड़ा(राजस्थान) 
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हर तरफ़, अंधेरा ही अंधेरा
ये आज कैसा, हुआ है सवेरा,
घुटन लिए, ये कैसा उजास है
ये कैसा, किसका विकास है… ?

ज़िंदगी-ज़िंदगी को तरसती है
दिल रोता है, आँखें बरसती है,
हर दिल क्यों, यहाँ पे उदास है
ये कैसा, किसका विकास है…।

सुरक्षित नहीं, बेटी की इज़्ज़त
मानवता की, भारी है क़िल्लत,
संस्कारों का हुआ, विनास है
ये कैसा, किसका विकास है…।

मंत्री लगे हैं, मंत्रणा करने में
अपनी-अपनी, पेटी भरने में,
देश का हो रहा, सत्यानास है
ये कैसा, किसका विकास है…।

सीमा-रेखा, रिश्तों की टूटी
इंसानियत की, क़िस्मत फूटी,
अपने हो गए दूर, गैर पास है
ये कैसा, किसका विकास है…।

सबको सद्बुद्धि, दे भगवान,
बस इस दिल का, है अरमान।
दिल से निकली ये अरदास है,
ये कैसा, किसका विकास है…॥

परिचय– श्रीमती तारा प्रजापत का उपनाम ‘प्रीत’ है।आपका नाता राज्य राजस्थान के जोधपुर स्थित रातानाड़ा स्थित गायत्री विहार से है। जन्मतिथि १ जून १९५७ और जन्म स्थान-बीकानेर (राज.) ही है। स्नातक(बी.ए.) तक शिक्षित प्रीत का कार्यक्षेत्र-गृहस्थी है। कई पत्रिकाओं और दो पुस्तकों में भी आपकी रचनाएँ प्रकाशित हुई हैं,तो अन्य माध्यमों में भी प्रसारित हैं। आपके लेखन का उद्देश्य पसंद का आम करना है। लेखन विधा में कविता,हाइकु,मुक्तक,ग़ज़ल रचती हैं। आपकी विशेष उपलब्धि-आकाशवाणी पर कविताओं का प्रसारण होना है।

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