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आधुनिकता से अत्याधुनिकता

पवन प्रजापति ‘पथिक’
पाली(राजस्थान)
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मिस मोनिका शिक्षिका थी। उनका पालन-पोषण शहर में हुआ था। पश्चिमी सभ्यता से बहुत प्रभावित थी। अबकी बार उनका तबादला रामपुर कर दिया गया था,जो उनके शहर से काफी दूर था। लिहाजा मिस मोनिका के पास अनमने मन से ही सही,रामपुर बसने के सिवाय कोई रास्ता न था। आज वे अपने लिए किराए का घर देखने आई थी। पाश्चात्य परिधान लपेटे मोनिका जब रामपुर पहुंची तो कमोबेश हर किसी की नजर उसी पर थी। मेले या हाट से जो कपड़े छोटे बच्चों के लिए लाते हैं,कमोबेश वैसे ही वस्त्रों में युवती को देख लोग भी चकित थे।
बहुत देखने पर मोनिका को एक मकान पसन्द आया। मकान मालकिन रेवती उसे पूरा मकान दिखा रही थी। ‘आधुनिकता’ की साधक मोनिका को ग्रामीण परिवेश पसन्द नहीं था,लेकिन विवशता थी। वे देखते-देखते बातों ही बातों में बोली,-”शहर की आधुनिकता की तुलना में गाँवों में कितना पिछड़ापन है,यहां आधुनिकता को हेय दृष्टि से देखा जाता है,सुन्दरता का कोई मोल नहीं है। अब तुम ही बताओ,सुन्दरता को यदि वस्त्रों से ढक लिया तो भला सुन्दरता का क्या मतलब ? यदि ईश्वर ने हमें सौन्दर्य दिया है तो हम क्यों ना दिखाएं।”

मोनिका जहां अपनी आधुनिकता का बखान करती जा रही थी,वहीं रेवती बिना उत्तर दिए मकान बता रही थी। सहसा रेवती एक दरवाजे के सामने रूकी और बोली,-
”मैडम ये आपका बाथरूम है,इसकी खिड़की बाहर की तरफ खुलती है,और हाँ,अपने-आपको ‘आधुनिक’ से ‘अत्याधुनिक’ होने से बचाने के लिए नहाते समय इस खिड़की को जरूर बन्द रखिएगा।”

परिचय-पवन प्रजापति का स्थाई निवास राजस्थान के जिला पाली में है। साहित्यिक उपनाम ‘पथिक’ से लेखन क्षेत्र में पहचाने जाने वाले श्री प्रजापति का जन्म १ जून १९८२ को निमाज (जिला-पाली)में हुआ है। इनको भाषा ज्ञान-हिन्दी,अंग्रेजी एवं राजस्थानी का है। राजस्थान के ग्राम निमाज वासी पवन जी ने स्नातक की शिक्षा हासिल की है। इनका स्वयं का व्यवसाय है। लेखन विधा-कविता,लेख एवं कहानी है। ब्लॉग पर भी कलम चलाने वाले ‘पथिक’ की लेखनी का उद्देश्य-मानव कल्याण एवं राष्ट्रहित के मुद्दे उठाना है। आपकी दृष्टि में प्रेरणा पुंज-स्वामी विवेकानन्द जी हैं। इनकी विशेषज्ञता- भावनात्मक कविता एवं लघुकथा लेखन है।

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