बबीता प्रजापति
झाँसी (उत्तरप्रदेश)
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चलती थी जो पनघट को
छँकार होती थी
ये औरतें भी गजब की
फनकार होती थी।
माथे पे बिंदिया
आंखों में काजल सजाती
इन आँखों से दुख छलकने नही देती थी
ये गज़ब की,अदाकार होती थी।
आठ हाथों की शक्ति है जिनमे
शक्ति का वो अवतार होती थी।
एक बार फिर स्त्री ने
बदल लिया अपना चोला
प्रेम ममता स्वाहा हुए
मन चंचल इनका डोला
त्याग समर्पण करने वाली
परिवार का आधार होती थी।
कैसे कह दूं स्त्री आजकी
शक्ति का अवतार होती थी।