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योग्या

राजबाला शर्मा ‘दीप’
अजमेर(राजस्थान)
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किसी कारणवश आज समाजशास्त्र के प्रोफेसर नहीं आए थे। अतः सभी विद्यार्थी उद्यान में बैठकर विचार-विमर्श कर रहे थे। तभी दूर बैठी लड़कियों को देखकर एक विद्यार्थी ने कहा,-“तुम सभी पत्नी के रूप में कैसी लड़की चाहते हो ?”
समूह में से एक विद्यार्थी बोला,-“नव्या! यानी ऐसी पत्नी जो रोज नई दुल्हन की तरह बन-संवर कर रहे। उसकी हाथों की मेहंदी कभी फीकी ना पड़े। शाम को सोलह सिंगार कर दरवाजे पर मेरी बाट जोहती रहे,और मेरा वंश चलाए।”
“अब तुम बताओl” वह बोलाl
समूह में से दूसरे विद्यार्थी ने कहा,-“देव्या! यानी ऐसी लड़की जो देवी की तरह शांत और शालीन हो। जिसके होंठों पर सदा मुस्कुराहट बिखरी रहे। सहनशीलता जिसका गहना हो,जिसमें त्याग और समर्पण की भावना हो। मेरे माता-पिता और सभी का आदर सत्कार करे।”
“अब तुम कहो”,उसने मुस्कुराकर प्रश्नवाचक दृष्टि से अन्य विद्यार्थियों को देखा।
समूह में से तीसरा विद्यार्थी बोला,-“भोग्याl” सभी उसे अचरज से देखने लगे। उसने हाथ का इशारा करके कहा,-“ठहरो! कुछ और अर्थ ना लगाओ,मेरा मतलब है ऐसी पत्नी जो भौतिक सुख-सुविधाओं से युक्त सामान साथ लाएl जैसे-फ्रिज,कार,ए.सी.,वाशिंग मशीन आदि साथ लाए।”
इस तरह सभी अपनी-अपनी पसंद बताने लगे। एक विद्यार्थी कुछ दूरी पर बैठा उनकी बातें सुनकर मुस्कुरा रहा था। उसकी तरफ देखकर कहा,-“तुम भी बताओ बंधु! तुम्हें कैसी पत्नी चाहिेए ?” वह बोला,-“योग्या! यानी ऐसी पत्नी जो शिक्षित,समझदार और योग्य हो। वह भले ही खूबसूरत ना हो,मगर गृहस्थी खूबसूरत तरीके से चला सके। जो ना मेरे आगे चले,ना पीछे,बल्कि मेरे साथ-साथ चले। वक्त पड़ने पर वह पति भी बन सके और पत्नी की भूमिका भी अदा कर सके,जो आधुनिकता का लिबास ओढ़े संस्कारी और मर्यादित भी हो। मुझे ऐसी जीवनसंगिनी चाहिए।”
उसकी बात में वजन था। अतः सभी विद्यार्थी ताली बजाने लगे।

परिचय-राजबाला शर्मा का साहित्यिक उपनाम-दीप है। १४ सितम्बर १९५२ को भरतपुर (राज.)में जन्मीं राजबाला शर्मा का वर्तमान बसेरा अजमेर (राजस्थान)में है। स्थाई रुप से अजमेर निवासी दीप को भाषा ज्ञान-हिंदी एवं बृज का है। कार्यक्षेत्र-गृहिणी का है। इनकी लेखन विधा-कविता,कहानी, गज़ल है। माँ और इंतजार-साझा पुस्तक आपके खाते में है। लेखनी का उद्देश्य-जन जागरण तथा आत्मसंतुष्टि है। पसंदीदा हिन्दी लेखक-शरदचंद्र, प्रेमचंद्र और नागार्जुन हैं। आपके लिए प्रेरणा पुंज-विवेकानंद जी हैं। सबके लिए संदेश-‘सत्यमेव जयते’ का है।

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