सच्चिदानंद किरण
भागलपुर (बिहार)
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अमर कृति सूर्य शौर्य के अमृत पुत्र,
मनरूप रवि की अनुपम छटा
राष्ट्रकवि दिनकर को नमन हो नमन।
सजे हिंद के हिंदी शब्द पुष्पों से,
भारत भूमि के जिला बेगुसराय
गाँव सिमरिया की साहित्यिक उर्वर,
सांस्कृतिक सभ्यता के संस्कारोंयुक्त होनहार दक्ष लोकप्रिय छायावदोत्तर क्रांतिकारी।
राष्ट्रकवि दिनकर को…
वीर रस के अमरत्व कवि,
ऋंगार के प्रकृति के सदाबहार हृदय रेणुका हूंकार के मर्मज्ञ महान,
देश की अंतर्वेदना से संचित हो
प्रेम रंग लहलहा उठते रश्मिरथी,
कुरूक्षेत्र धूप-छांह सम्पूर्ण हिंदी जगत में।
राष्ट्रकवि दिनकर को…
गद्य के महान साहित्यकार जिनके,
उभरते हैं पल, हर पल मिट्टी की ओर
चितौड़ का साका, अर्धनारीश्वर,
रेती के फूल, लोकदेव नेहरू संग खड़े
हैं पंत मैधिलीशरण जीवंत हो,
साहित्यांगन में ठुमक ठुमके रसभोर।
राष्ट्रकवि दिनकर को…
समाजसेवा, राष्ट्रसेवा इनके शब्द,
रगों में हूंकार भरती सच तो यही
सिंहासन छोड़ो जनता आ रही,
उर्वशी में ‘अपने समय का सूर्य हूँ मैं।’
राजनीतिक शिक्षा के अमृत पौरूषत्व,
कि जननी विहंग उन्मुक्त गगन की शान॥
राष्ट्रकवि दिनकर को…
परिचय- सच्चिदानंद साह का साहित्यिक नाम ‘सच्चिदानंद किरण’ है। जन्म ६ फरवरी १९५९ को ग्राम-पैन (भागलपुर) में हुआ है। बिहार वासी श्री साह ने इंटरमीडिएट की शिक्षा प्राप्त की है। आपके साहित्यिक खाते में प्रकाशित पुस्तकों में ‘पंछी आकाश के’, ‘रवि की छवि’ व ‘चंद्रमुखी’ (कविता संग्रह) है। सम्मान में रेलवे मालदा मंडल से राजभाषा से २ सम्मान, विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ (२०१८) से ‘कवि शिरोमणि’, २०१९ में विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ प्रादेशिक शाखा मुंबई से ‘साहित्य रत्न’, २०२० में अंतर्राष्ट्रीय तथागत सृजन सम्मान सहित हिंदी भाषा साहित्य परिषद खगड़िया कैलाश झा किंकर स्मृति सम्मान, तुलसी साहित्य अकादमी (भोपाल) से तुलसी सम्मान, २०२१ में गोरक्ष शक्तिधाम सेवार्थ फाउंडेशन (उज्जैन) से ‘काव्य भूषण’ आदि सम्मान मिले हैं। उपलब्धि देखें तो चित्रकारी करते हैं। आप विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ केंद्रीय कार्यकारिणी समिति के सदस्य होने के साथ ही तुलसी साहित्य अकादमी के जिलाध्यक्ष एवं कई साहित्यिक मंच से सक्रियता से जुड़े हुए हैं।