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रुक्मणी पूछे सवाल

गीतांजली वार्ष्णेय ‘ गीतू’
बरेली(उत्तर प्रदेश)
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रुक्मणी पूछ रही,कान्हा मेरा प्रेम क्यूँ अधूरा है,
मैं अर्धांगनी तेरी,संग राधा को क्यूँ बिठाया है…
कान्हा तुझ पर मैंने..तन-मन वारा है…
मैं भक्ति तेरी करती,तुझको ही पूजा है…
मैं तन हूँ तेरा,मन राधा को क्यूँ बसाया है…
रुक्मणी पूछ रही,मेरा प्रेम…ll

कान्हा तेरे चरणों की मैं हूँ एक दासी रे…,
तेरे साथ को हूँ मैं प्यासी,रास क्यूँ राधा संग रचाया है…l
रुक्मणी पूछ रही…ll

मीरा करे भक्ति तेरी,राधा ने प्रेम किया,
मैंने किये दोनों तुझे,तू राधा में क्यूँ समाया है…
रुक्मणी पूछ रही,कान्हा मेरा प्रेम क्यूँ अधूरा है…ll

परिचय-गीतांजली वार्ष्णेय का साहित्यिक उपनाम `गीतू` है। जन्म तारीख २९ अक्तूबर १९७३ और जन्म स्थान-हाथरस है। वर्तमान में आपका बसेरा बरेली(उत्तर प्रदेश) में स्थाई रूप से है। हिन्दी-अंग्रेजी भाषा का ज्ञान रखने वाली गीतांजली वार्ष्णेय ने एम.ए.,बी.एड. सहित विशेष बी.टी.सी. की शिक्षा हासिल की है। कार्यक्षेत्र में अध्यापन से जुड़ी होकर सामाजिक गतिविधि के अंतर्गत महिला संगठन समूह का सहयोग करती हैं। इनकी लेखन विधा-कविता,लेख,कहानी तथा गीत है। ‘नर्मदा के रत्न’ एवं ‘साया’ सहित कईं सांझा संकलन में आपकी रचनाएँ आ चुकी हैं। इस क्षेत्र में आपको ५ सम्मान और पुरस्कार मिले हैं। गीतू की उपलब्धि-शहीद रत्न प्राप्ति है। लेखनी का उद्देश्य-साहित्यिक रुचि है। इनके पसंदीदा हिंदी लेखक-महादेवी वर्मा,जयशंकर प्रसाद,कबीर, तथा मैथिलीशरण गुप्त हैं। लेखन में प्रेरणापुंज-पापा हैं। विशेषज्ञता-कविता(मुक्त) है। हिंदी के लिए विचार-“हिंदी भाषा हमारी पहचान है,हमें हिंदी बोलने पर गर्व होना चाहिए,किन्तु आज हम अपने बच्चों को हिंदी के बजाय इंग्लिश बोलने पर जोर देते हैं।”

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