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खत्म करना होगा `आरक्षण`

ललित प्रताप सिंह
बसंतपुर (उत्तरप्रदेश)

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आरक्षण शब्द पर अक्सर लोगों में बहस होना आजकल आम बात हैl ये मुद्दा आम जनता का नहीं,अपितु सभी राजनीतिक दलों का भी है,वो लोग जातिवाद के नाम पर मत मांगकर सबकी एकता का बिखराव कर रहे हैं,और हम जैसे लोग उनको अपना मत देकर उन पर विश्वास जता रहे हैंl
आजकल देखा जा रहा है कि,जिस जाति का भी व्यक्ति है वो अपने आरक्षण से खुश नहीं हैl उसे वो कम ही लगता है जिसके फलस्वरूप लगातार संघर्ष बढ़ता जा रहा है,वो चाहता है मेरे को और छूट मिलनी चाहिए,मैं पिछड़ी जाति में नहीं,बल्कि एससी में योग्य हूँ, और एक यूनियन बनाकर अपना हक मांगने लगते हैंl
हाल ही में सरकार ने सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से कमजोर व्यक्तियों के लिये भी आरक्षण व्यवस्था प्रारम्भ की हैै,जिसमें ८ लाख से कम आय के लोग भी १० प्रतिशत आरक्षण के हकदार होंगें, उनको मात्र (ईडब्ल्यूएस) प्रमाण-पत्र बनवाना होगा,और उसका प्रयोग करके आरक्षण लेना होगाl
क्या ये सरकार की अच्छी पहल है सामान्य वर्ग के लिये ? अगर अच्छी पहल है तो सरकार ने दोबारा इस प्रमाण-पत्र बनवाने में आने वाली समस्याओं पर कभी विचार किया है ? आज भी ५० फीसदी से अधिक लोग ये प्रमाण-पत्र बनवाने का सम्पूर्ण तरीका नहीं जानते हैं( मेरा खुद का सर्वे है)l उन्हें सरकार जागरूक क्यूं नहीं कर रही ? उन पर दोबारा ध्यान क्यूं नहीं दिया जा रहा ?
एक सवाल और जह़न में आता है आजकल उत्तर प्रदेश सरकार की नीति को देखकर(उन्होनें १७ जातियों को पिछड़े वर्ग से हटाकर एससी वर्ग में शामिल किया है),क्या यह उचित है ? एक तरफ आप कह रहे हो कि,सबका विकास हो रहा हैl दूसरी तरफ उनका स्तर गिरा रहे हो,आदमी आगे बढ़ता है या पिछड़ता है ? क्या सोचकर सरकार ये कर रही है,कहीं कोई और मकसद तो नही हैl
अब सवाल ये बनता है कि,आरक्षण किन क्षेत्रों में दिया जाना उचित है और किन क्षेत्रों में नहीं,आईये थोड़ा अध्ययन करते हैं-
#रक्षा-आजकल के परिवेश को देखकर कोई देश किसी से कम नहीं है अगर रक्षा क्षेत्र में हम आरक्षण देगें,तो ऐसा तो है नहीं कि एससी और पिछड़े समुदाय के लोग आरक्षण से आकर ज्यादा बेहतर काम करेंगें और सामान्य वाला कम करेगाl तीनों का तो वही शरीर है,फिर कोई कम अंक लाकर बेहतर क्यूं कहलाए ? रक्षा क्षेत्र में आरक्षण कोई जरूरी नहीं है(जहां तक मेरा मत है)l
#शिक्षा-शिक्षा के क्षेत्र में जो अध्यापक बनेगा,वो एक योग्य व्यक्ति होना चाहिये,जिससे वो बच्चों का सर्वांगीण विकास कर सकेl एक अध्यापक ५० फीसदी अंक लेकर पढ़ाता है,और दूसरा ५५ लाकर पढ़ाता है,तो दोनों में कौन बढ़िया पढ़ाएगा ?,आप बताएं,तो यहाँ पर भी आरक्षण देना गलत हैl इससे बच्चों के साथ खिलवाड़ होगाl
#बैकिंग एवं अन्य क्षेत्र-अब बात बैकिंग क्षेत्र की,तो वहां पर भी जो ज्यादा जानकारी रखता हो,वही ग्राहकों को सन्तुष्ट कर सकता है और अच्छे तरीके से काम कर सकता है और देश को आगे ले जा सकता हैl यहाँ तो आरक्षण की बात करना ही गलत होगाl
#क्या आरक्षण शब्द ही हटा दिया जाये
सही मायनों में देखा जाये तो वक्त आ गया है कि,आरक्षण खत्म कर दिया जाये,मगर कुछ जगह पर ये जारी रहे,तो एससी और ओबीसी समुदाय को इसका लाभ मिलता रहेl
अब सवाल ये है कि आरक्षण किन जगहों पर मिले सबको,तो आरक्षण नौकरी में कम अंक से उत्तीर्ण करके नहीं,बल्कि उसके आवेदन की फीस को कम करके दिया जाये,जो हो भी रहा हैl बस इतना ही काफी हैl अब पिछड़े और एससी-एसटी समुदाय को ये समझना होगा कि,वो मानें कि हमें नौकरी का आवेदन कम अंकों से नहीं,कम रूपयों से भरने दिया जा रहा हैl ये बहुत है और गर्व से अपना चयन करवाकर योग्य होने का सुबूत देना होगा कि,जो कम अंकों से चयन होकर आने का दाग उन पर से हट सकेl

परिचय : ललित सिंह का निवास जिला रायबरेली स्थित ग्राम बसंतपुर (उत्तरप्रदेश)में है ।वर्तमान में बीएससी की पढ़ाई के साथ ही लेखन भी जारी है । लेखन में आपको श्रृंगार विधा में लिखना अधिक पसंद है । कई स्थानीय पत्रिकाओं में आपकी रचना प्रकाशित हुई है । ललित प्रताप सिंह का साहित्यिक उपनाम-ललित है। जन्मतिथि ४ जुलाई १९९९ और जन्मस्थान-होशियारपुर(पंजाब) है।कार्यक्षेत्र में आप विद्यार्थी हैं,तो लेखन विधा-कविता और ग़ज़ल जो श्रृंगार रस में लिखना हैl प्रकाशन में श्री सिंह का साझा काव्य संग्रह शीघ्र ही आने वाला हैl आप ब्लॉग पर भी अपनी बात रखते हैंl आपकी नजर में लेखनी का उद्देश्य-हिन्दी का प्रचार करना हैl

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